अखिल भारतीय मुस्लिम महिला एसोसिएशन की हैदराबाद इकाई ने बीती 16-17 जनवरी को क्लासिक गार्डन मेहदीपट्टनम में दो दिवसीय जागरूकता शिविर का आयोजन किया।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य शीतकालीन अवकाश के दौरान महिलाओं और लड़कियों को आस्था, विचारधारा, संस्कृति, पोशाक, जीवन शैली, वर्तमान मामलों, स्वास्थ्य, परिवार, अर्थशास्त्र, शरिया जैसे सामाजिक मुद्दों जैसे पर जागरूकता पैदा करना और शिक्षित करना था।
दावा शिविर में आस्था, पूजा, सामाजिक सुधार, अधिकार, कुरान, हदीस, अर्थशास्त्र और मिल्ली मुद्दों जैसे विषयों पर आठ महत्वपूर्ण सत्र आयोजित किए गए। दो दिवसीय कार्यक्रम के लिए लड़कियों के लिए गतिविधियाँ, खेल और प्रतियोगिताएँ आयोजित की गईं और रहने और भोजन की व्यवस्था की गई।
शिविर की शुरुआत पवित्र कुरान के पाठ से हुई, जिसके बाद एमजीए की पूर्व अध्यक्ष सुश्री तहनियत अतहर ने सामुदायिक सेवा पहल पर प्रकाश डाला और युवा मुस्लिम लड़कियों को इस्लाम के बारे में सीखने के महत्व पर जोर दिया।
शिविर में इस्लाम में पूजा, नमाज का महत्व, रोजा का महत्व, आत्म-नियंत्रण और आध्यात्मिकता पर सत्र शामिल थे। मुंबई से श्रीमती हुदा रावल और डॉ. सादिया शाहनाज़ सहित विशिष्ट अतिथियों ने शिक्षा और कौशल विकास के महत्व पर बात की।
एआईएमडब्ल्यूए की अध्यक्ष डॉ. अस्मा ज़हरा ने शिक्षा और आर्थिक सशक्तिकरण की आवश्यकता पर जोर देते हुए भारत में मुस्लिम समुदाय के सामने आने वाली चुनौतियों को संबोधित किया।
उन्होंने शिक्षा में आने वाली विभिन्न बाधाओं और मुस्लिम महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करते हुए कर्नाटक में हिजाब विवाद, मुजफ्फरनगर में एक छात्र पर हमला, नजीब मामला, जामिया मिलिया इस्लामिया में भगवाकरण की चिंता और सुप्रीम कोर्ट में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में अल्पसंख्यक दर्जे की चुनौती जैसी बाधाओं का भी ज़िक्र किया।