हल्द्वानी की गफूर बस्ती में रहने वाले 50 हज़ार लोगों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली हैं, सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले पर फिलहाल रोक लगा दी हैं।
सुप्रीम कोर्ट का कहना हैं कि इतने सारे लोग लंबे समय से वहां रह रहे हैं, उनका पुनर्वास होना जरूरी है, 7 दिन में ये लोग जमीन कैसे खाली करेंगे?
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, अब उस जमीन पर कोई कंस्ट्रक्शन और डेवलपमेंट नहीं होगा तथा इस केस की अगली सुनवाई 7 फरवरी को होगी।
इस मामले को लेकर कांग्रेस पार्टी एवं राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी काफ़ी गंभीर थे, उन्होंने ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कराई थीं।
इमरान प्रतापगढ़ी सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शीद से लगातार संपर्क में थे तथा उनके साथ याचिका दायर करने कोर्ट भी गए थे।
कोर्ट का फ़ैसला आते ही इमरान प्रतापगढ़ी ने खुशी का इज़हार करते हुए कहा कि, मुबारक हो, हल्द्वानी में ग़रीबों का आशियाना नहीं उजड़ेगा, ये न्याय की जीत है, इंसानियत की जीत है, हल्द्वानी के लोगों से सर से छत नहीं छीनी जायेगी, बच्चों के स्कूल नहीं टूटेंगे, अस्पताल नहीं टूटेगा, मंदिर मस्जिद धर्मशाला नहीं टूटेगी, शुक्रिया माननीय उच्चतम न्यायालय.
आपको बता दें कि, उत्तराखंड हाईकोर्ट ने गफूर बस्ती के 4 हज़ार से अधिक घरों को तोड़ने का आदेश दिया था, जिसके बाद से वहां रहने वाले लोग विरोध प्रदर्शन कर रहें थे, ताकि उनके घर नहीं टूटे।
हालांकि रेलवे इस ज़मीन पर अपना दावा करता हैं जिसके कारण हाईकोर्ट ने रेलवे के पक्ष में फ़ैसला सुनाते हुए सभी घरों को तोड़ने का आदेश सुनाया था, जिसपर फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी हैं।