मणिपुर में महिलाओं को निर्वस्त्र करके घुमाने और उनका यौन शौषण करने की वीडियो ने पूरे देश को झोकझोर दिया हैं, चारों तरफ़ इस घटना की निंदा हो रहीं हैं।
पत्रकार रोहिणी सिंह का इस मामले पर कहना हैं कि, ये वो लोग हैं जो विश्वविजेता महिलाओं को का शोषण करने वाली चैंपियन पहलवान बेटियों तक पर अत्याचार करने वालों को संरक्षण देते हैं, क्योंकि ये वो लोग हैं जो बिल्किस बानो के आरोपियों को रिहा करवाते हैं।
ये वो लोग हैं जो हाथरस में बलात्कार पीड़िता के शव का ज़बरदस्ती दाह संस्कार करा देते हैं, ये वो लोग हैं जिनका आईटी सेल दिन रात महिलाओं को भद्दी गालियाँ देता है, ये लोग हर विषय को चुनावी राजनीति से जोड़ कर देखते हैं, ये लोग कार्यवाही तक के लिए जनआक्रोश का इंतज़ार करते हैं, इन लोगों में ना संवेदनशीलता है और ना ही दीन और ईमान।
इन लोगों की सबसे बड़ी ताक़त हैं मुख्यधारा की मीडिया का संरक्षण जो किसी भी विषय को जनता के बीच मुद्दा ही नहीं बनने देता. एक बाउंड्री तक बन जाये तो नेताओं की बड़ी बड़ी तस्वीर लगाकर उनका महिमामंडन करने वाला मीडिया ऐसे मौक़ों पर इन लोगों का नाम लेकर एक अदद सवाल तक पूछने में डरता है।
सवाल ये पूछने नहीं देते, जवाब ये देते नहीं हैं, इस कलयुग में द्रौपदी को अपनी अस्मिता की रक्षा ख़ुद करनी होगी। यहाँ ‘बेटी बचाओ’ जैसे नारे सिर्फ़ चुनावी जुमले हैं।
दो महीने से अधिक बीत चुके हिंदुस्तान का एक राज्य जल रहा है। वहाँ से लगातार हिंसा की खबरें आ रही हैं, पर ना इनके कानों पर जूँ रेंग रही है और ना ही गोदी मीडिया की सेहत पर कोई फ़र्क़ है।
आज महिलाओं को निर्वस्त्र कर सड़क पर घुमाया जाना भी आम बात हो गई। पूर्वोत्तर का सीना छलनी है, उनका दर्द हमारा दर्द क्यों नहीं बन पा रहा है?
मणिपुर की घटना पर भी आप चुप हैं तो आप बस इंतजार कर रहे हैं कि आग की लपटें आप तक पहुँचें और सब कुछ जला के ख़ाक कर दें. इस आग को फैलने से बचा लीजिए, अब आँखें खोलिए, अब सवाल करिए, जो जिम्मेदार हैं उनकी आँखों में आँखें डाल कर सवाल करिए. वरना याद रहे खामोश जनता और कायर मीडिया एक खोखले लोकतंत्र की जननी है।