जब जब भारत की मौजूदा सरकार ने लोकतंत्र मज़बूत होने का दावा किया है तब तब विदेशी रिपोर्टों ने मोदी सरकार के इस दावे को पूरी तरह से नकार दिया है।
एक तरफ़ मोदी सरकार यह दावा कर रहीं हैं कि, देश में लोकतंत्र मज़बूत हो रहा है और तमाम सरकारी संस्थाएं निष्पक्ष काम कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ़ स्वीडन की वेरायटी ऑफ डेमोक्रेसी इंस्टीट्यूट की रिर्पोट (वी-डेम रिपोर्ट) ने भारत को दुनिया के सबसे बुरे निरंकुश देशों में शामिल किया है।
‘डेमोक्रेसी विनिंग एंड लूजिंग एट बैलेट’ शीर्षक से जारी इस रिपोर्ट में इंस्टीट्यूट ने कहा कि भारत 2018 से लेकर अभी भी (2023 के अंत तक) चुनावी निरंकुश देश बना हुआ है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि निरंकुशता की प्रक्रिया भारत समेत 42 देशों में चल रही है जो सामूहिक तौर पर दुनिया की 35 फीसदी आबादी का निर्माण करते हैं तथा भारत की नरेंद्र मोदी सरकार ने राष्ट्रद्रोह, अवमानना और आतंकवाद विरोधी जैसे कानूनों का इस्तेमाल आलोचकों को मौन करने के लिए किया है।
इसके अलावा रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सरकार लगातार धार्मिक स्वतंत्रता को दबा रही है, राजनीतिक विरोधियों को धमकी, सरकारी नीतियों का विरोध करने वालों और एकैडमिक हिस्से में काम करने वाले आलोचकों को चुप कराना अब आम बात हो गयी है।