यूनाइटेड नेशन में गाज़ा सीजफायर प्रस्ताव पर वोटिंग के दौरान भारत की गैर मौजूदगी को लेकर कांग्रेस महासचिव के सी वेनुगोपाल ने गंभीर सवाल खड़े किए है।
उन्होंने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट के जरिए कहा कि, भारत हमेशा शांति, न्याय और मानवीय गरिमा के पक्ष में खड़ा रहा है। लेकिन आज, भारत दक्षिण एशिया, ब्रिक्स और एससीओ में एकमात्र ऐसा देश है जिसने गाजा में युद्ध विराम की मांग करने वाले यूएनजीए प्रस्ताव पर अपना पक्ष नहीं रखा।
60,000 लोग मारे गए। उनमें से अधिकांश महिलाएँ और बच्चे थे। हज़ारों लोग भूख से मर रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय सहायता रोक दी गई है। एक मानवीय तबाही सामने आ रही है।
क्या भारत ने युद्ध, नरसंहार और न्याय के खिलाफ़ अपने सैद्धांतिक रुख को त्याग दिया है?
के सी वेनुगोपाल के अनुसार, विदेश मंत्रालय को यह स्पष्ट करना चाहिए: पिछले छह महीनों में ऐसा क्या बदल गया जिसके कारण भारत युद्ध विराम का समर्थन करने से दूर रहने लगा?
हम जानते हैं कि इस सरकार को नेहरू जी की विरासत का बहुत कम सम्मान है, लेकिन फ़िलिस्तीन पर वाजपेयी जी के सैद्धांतिक रुख को भी क्यों त्याग दिया?
भारत लंबे समय से मध्य पूर्व में युद्ध विराम, शांति और संवाद के लिए एक सैद्धांतिक आवाज़ रहा है। गुटनिरपेक्षता और नैतिक कूटनीति की हमारी विरासत में निहित, भारत ने ऐतिहासिक रूप से वैश्विक संघर्षों में न्याय और मानवीय मूल्यों के लिए आवाज़ उठाई है।
ऐसे समय में जब क्षेत्र में अकल्पनीय हिंसा, मानवीय पतन और बढ़ती अस्थिरता देखी जा रही है, भारत चुप या निष्क्रिय रहने का जोखिम नहीं उठा सकता।