मेवात में नागरिकों के घरों का विध्वंस किसी दंगाई समूह या सांप्रदायिक हिंसा के कारण नहीं बल्कि सरकारी एजेंसियों की क्रूर कार्रवाई का परिणाम है। जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने उक्त बातें मेवात नूंह के नल्हड़ में दंगों और सरकारी बुलडोजर से प्रभावित परिवारों को जमीअत द्वारा निर्माण किए गए घरों की चाबियां सौंपते हुए कहीं।
मौलाना मदनी ने कहा कि अब मैं अपनी सरकार को क्या कहूं, क्या मैं इस कार्रवाई को ’सरकारी आतंकवाद’ कहूं, लेकिन जो कहा जाए, यह लोकतंत्र और इस देश के माथे पर कलंक है। देश के नागरिकों की जान-माल और उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी जिन मशीनरियों पर थी, उन्होंने नागरिकों के घरों को ध्वस्त कर दिया, जो किसी भी सभ्य समाज में स्वीकार्य नहीं है।
मौलाना मदनी ने कहा कि कोई भी सरकार अगर संविधान और कानून से भटक जाए और किसी भी वर्ग को निशाना बनाए तो उसे सरकार नहीं बल्कि अराजकतावादी कहा जाएगा। इस देश के निर्माताओं ने देश को इसलिए आजाद नहीं कराया था कि यहां अत्याचार, प्रताड़ना और भेदभाव का बोलबाला हो, बल्कि इसलिए कराया था कि यहां न्याय और कानून का शासन हो। लेकिन हरियाणा सरकार ने मेवात की धरती को अपने गुस्से और अराजकता का निशाना बनाया और इसका सबसे अधिक नुकसान गरीबों और असहायों को हुआ।
ज्ञात हो कि मौलाना मदनी रविवार सुबह मेवात पहुंचे और उन्होंने जमीअत यूथ क्लब और व्यवस्थित मकतब (पाठशाला) के लिए आयोजित दो कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। बाद में मौलाना मदनी के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने मेवात दंगा पीड़ितों से मुलाकात की और जमीअत द्वारा किए रहे पुनर्वास कार्यों की समीक्षा की। मौलाना मदनी ने नल्हड़ पहुंच कर जमीअत की ओर से आस मोहम्मद, शेख अहमद और इकबाल के घरों का उद्घाटन किया जिसके निर्माण में जमीअत ने सहयोग किया था।
इस अवसर पर मौलाना मदनी ने कहा कि मेवात में दंगाइयों ने मस्जिदों को निशाना बनाया, लेकिन वहां सरकार और पुलिस प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। इन मस्जिदों की भी मरम्मत जमीअत उलमा-ए-हिंद ने कराई। उन्होंने कहा कि वह तोड़ें, हम बनाएं, यह सिलसिला अच्छा नहीं है। इस देश के निर्माण में सभी वर्गों को शामिल होना चाहिए और विध्वंसकारी शक्तियों को मिलकर परास्त करना चाहिए।
उधर वकील ताहिर रोपड़िया ने मौलाना मदनी से मुलाकात की और कानूनी उपायों का ब्योरा प्रस्तुत किया। इस मौके पर मौलाना मदनी ने उन लोगों से भी मुलाकात की जो जमानत पर रिहा हुए हैं।
मेवात के लोगों ने मौलाना मदनी का किया स्वागत मदरसा अबी बिन काब घासीरा में मोहतमिम मौलाना शेर मोहम्मद अमीनी ने प्रशंसा-पत्र प्रस्तुत कर मौलाना मदनी के नेतृत्व में जमीअत की ओर से मेवात दंगा पीड़ितों की कानूनी और कल्याणकारी सहायता और मस्जिदों के पुनर्वास के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि अगर आप इस अवसर पर खड़े नहीं होते तो मेवात की जनता निराशा में डूब जाती। हम आपकी सेवाओं और बलिदानों को हमेशा याद रखेंगे। इस अवसर पर मौलाना मदनी ने मदरसा में जमीअत यूथ क्लब के शिविर का भी उद्घाटन किया। यहां मौलाना मदनी ने अपने संबोधन में कहा कि एक शिक्षक का कौशल केवल यह नहीं है कि वह बच्चों को पढ़ा दे, बल्कि एक शिक्षक का हुनर यह होता है कि वह बच्चों में लगन पैदा करे।
मौलाना मदनी ने कहा कि कोई संस्था भवनों से नहीं बल्कि नेतृत्व पैदा करने से बनती है। जो संस्था जितनी संख्या में धार्मिक, सामाजिक और सामुदायिक क्षेत्र में सेवा करने वाले लोगों को तैयार करेगी, वह उतना ही सफल मानी जाएगी। मौलाना मदनी ने भारत स्काउट एण्ड गाइड ट्रेनिंग के बारे में कहा कि इससे छात्रों में सुधार और दूसरों के लिए जीने की भावना जागृत होगी।
मेवात के लोग व्यवस्थित मकतब (पाठशालाओं) को अपना लक्ष्य बनाएं मेवात की प्रतिष्ठित शिक्षण संस्था मदरसा मोइन-उल-इस्लाम नूंह में जमीअत, तब्लीगी जमात और दीनी मदरसों के पदाधिकारियों की संयुक्त बैठक हुई, जिसमें एक व्यवस्थित मकतब की स्थापना पर प्रस्तुति दी गई। इस मौके पर अपने विशेष संबोधन में मौलाना मदनी ने कहा कि अगर हमारे संघर्षों को अल्लाह ने स्वीकार कर लिया तो हम मेवात के सभी बच्चे और बच्चियों में धर्म पहुंचाने में कामियाब हो जाएंगे। मौलाना मदनी ने मकतब की स्थापना के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि जो शिक्षा मदरसों में दी जाती है, वह शिक्षा अनिवार्य कर्तव्य है, लेकिन जो शिक्षा मकतब में दी जाती है वह मूल कर्तव्य है।