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यूनिफॉर्म सिविल कोड के विरुद्ध जमीअत उलमा-ए-हिंद ने बुलाई वर्किंग कमेटी की बैठक, महमूद मदनी बोले- UCC के द्वारा मुस्लिम पर्सनल लॉ को निशाना बनाया जा रहा है, जो हमें बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है

[6:02 am, 11/07/2023] Mohd Ali:
जमीअत उलमा-ए-हिंद की वर्किंग कमेटी की एक बैठक जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी की अध्यक्षता में नई दिल्ली स्थित जमीअत मुख्यालय के मदनी हॉल में आयोजित की गई।

बैठक में विशेष रूप से समान नागरिक संहिता पर विस्तारपूर्वक चर्चा की गई और मुस्लिम पारिवारिक कानूनों के समक्ष आने वाली चुनौती का सामना करने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।

इससे पूर्व जमीअत उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने पिछली कार्यवाही प्रस्तुत की और एडवोकेट मौलाना नियाज अहमद फारूकी ने जमीअत उलमा-ए-हिंद की ओर से विधि आयोग को दिए जाने वाले जवाब का एक विस्तृत मसौदा पेश किया जिसमें कई तर्कों द्वारा यह साबित किया गया है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ एक्ट महिलाओं के अधिकारों का वाहक और संरक्षक है, अगर इसे निरस्त कर दिया गया तो महिलाओं को प्रदत्त बहुत से अधिकार और छूट खत्म हो जाएंगी।

इस अवसर पर अपने अध्यक्षीय भाषण में जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने कहा कि जमीअत उलमा-ए-हिंद ने मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीअत एप्लीकेशन एक्ट 1937) के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जैसा कि इस अधिनियम की प्रस्तावना में उल्लेखि किया गया है। वर्तमान समय में यूसीसी द्वारा विशेष रूप से मुस्लिम पर्सनल लॉ को निशाना बनाया जा रहा है, जो हमें बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है और हम ऐसे किसी भी प्रयास की कड़ी निंदा करते हैं।

मौलाना मदनी ने कहा कि यह मामला मुस्लिम अल्पसंख्यक की पहचान से जुड़ा है, देश के संविधान ने अनेकता में एकता को केंद्रीय भूमिका में रखा है, इसलिए यदि किसी एक की पहचान को मिटाने का प्रयास किया गया तो यह देश की गौरवपूर्ण पहचान को मिटाने के समान होगा। मौलाना मदनी ने कहा कि देश की आजादी के समय इसके निर्माताओं, संस्थापकों और विचारकों ने हमें आश्वासन दिया था कि मुस्लिम पर्सनल लॉ, जो किसी प्रथा एवं परंपरा पर नहीं बल्कि पवित्र कुरान और प्रामाणिक हदीसों के आधार पर है, इसका संवैधानिक संरक्षण किया जाएगा, लेकिन आज हम जिस स्थिति का सामना कर रहे हैं, वह बहुत निराशाजनक है। अगर इन परिस्थितियों का समाधान नहीं हुआ तो मुसलमान निराशा का शिकार हो जाएंगे और यह देश के लिए अच्छा संकेत नहीं है।

जमीअत उलमा-ए-हिंद की कार्यकारिणी समिति ने काफी विचार-विमर्श के बाद विशेषज्ञ वकीलों द्वारा तैयार किए गए जवाब को कुछ बदलावों के साथ मंजूरी दी है, जिसे भारत के विधि आयोग के कार्यालय में दर्ज करा दिया गया है। कार्यकारिणी समिति ने इस अवसर पर यह भी फैसला लिया है कि समान नागरिक संहिता के संबंध में मुस्लिम समुदाय के सर्वसम्मत रुख से अवगत कराने के लिए सभी मुख्यमंत्रियों और राजनीतिक दलों के अध्यक्षों के नाम पत्र लिखा जाए और भारत के राष्ट्रपति से भी मिलने का प्रयास किया जाए। यह भी निर्णय लिया गया कि विभिन्न दलों से संबंध रखने वाले मुस्लिम और गैर-मुस्लिम संसद सदस्यों को इकट्ठा कर उनसे चर्चा की जाए और उन्हें संसद में समान नागरिक संहिता के नकारात्मक प्रभावों पर आवाज उठाने के लिए सहमत किया जाए। कार्यकारिणी समिति ने अपने अपने महत्वपूर्ण निर्णय में यह घोषणा की कि सार्वजनिक प्रदर्शनों से बचा जाए, हालांकि केंद्रीय और प्रदेश स्तर पर संयुक्त प्रतितिधि सभाएं आयोजित की जाएंगी जिनमें विभिन्न वर्गों से संबंध रखने वाले लोगों और प्रभावशाली व्यक्तित्व भाग लेंगे।

वर्किंग कमेटी ने यह भी घोषणा की है कि यूसीसी के संदर्भ में आगामी 14 जुलाई शुक्रवार को ’यौम-ए-दुआ (प्रार्थना दिवस) के रूप में मनाया जाएगा।
कार्यकारिणी समिति में अन्य मामलों के तहत जमीअत उलमा-आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की वर्किंग कमेटी द्वारा एक प्रस्ताव इन दो राज्यों की इकाइयों को अलग करने का प्रस्ताव रखा गया, जिसे कार्यकारिणी समिति ने स्वीकृति प्रदान कर दी।

बैठक में कई महत्वपूर्ण हस्तियों विशेष रूप से ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष हजरत मौलाना सैयद राबे हसनी नदवी के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया गया और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई।

उनके अलावा मौलाना गुलाम रसूल शेख-उल-हदीस मदरसा इमदादिया मुंबई, मौलाना याहया नदवी बेगूसराय, मौलाना आलमगीर चौधरी, हाजी नोमान उपाध्यक्ष जमीअत उलमा बनारस, हाजी अब्दुल बासित और हाजी अब्दुल कबीर बनारस, मौलाना हाफिज नदीम स…
[6:03 am, 11/07/2023] Mohd Ali: यूनिफॉर्म सिविल कोड के विरुद्ध जमीअत उलमा-ए-हिंद ने बुलाई वर्किंग कमेटी की बैठक, महमूद मदनी बोले- UCC के द्वारा मुस्लिम पर्सनल लॉ को निशाना बनाया जा रहा है, जो हमें बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है

जमीअत उलमा-ए-हिंद की वर्किंग कमेटी की एक बैठक जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी की अध्यक्षता में नई दिल्ली स्थित जमीअत मुख्यालय के मदनी हॉल में आयोजित की गई।

बैठक में विशेष रूप से समान नागरिक संहिता पर विस्तारपूर्वक चर्चा की गई और मुस्लिम पारिवारिक कानूनों के समक्ष आने वाली चुनौती का सामना करने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।

इससे पूर्व जमीअत उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने पिछली कार्यवाही प्रस्तुत की और एडवोकेट मौलाना नियाज अहमद फारूकी ने जमीअत उलमा-ए-हिंद की ओर से विधि आयोग को दिए जाने वाले जवाब का एक विस्तृत मसौदा पेश किया जिसमें कई तर्कों द्वारा यह साबित किया गया है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ एक्ट महिलाओं के अधिकारों का वाहक और संरक्षक है, अगर इसे निरस्त कर दिया गया तो महिलाओं को प्रदत्त बहुत से अधिकार और छूट खत्म हो जाएंगी।

इस अवसर पर अपने अध्यक्षीय भाषण में जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने कहा कि जमीअत उलमा-ए-हिंद ने मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीअत एप्लीकेशन एक्ट 1937) के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जैसा कि इस अधिनियम की प्रस्तावना में उल्लेखि किया गया है। वर्तमान समय में यूसीसी द्वारा विशेष रूप से मुस्लिम पर्सनल लॉ को निशाना बनाया जा रहा है, जो हमें बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है और हम ऐसे किसी भी प्रयास की कड़ी निंदा करते हैं।

मौलाना मदनी ने कहा कि यह मामला मुस्लिम अल्पसंख्यक की पहचान से जुड़ा है, देश के संविधान ने अनेकता में एकता को केंद्रीय भूमिका में रखा है, इसलिए यदि किसी एक की पहचान को मिटाने का प्रयास किया गया तो यह देश की गौरवपूर्ण पहचान को मिटाने के समान होगा। मौलाना मदनी ने कहा कि देश की आजादी के समय इसके निर्माताओं, संस्थापकों और विचारकों ने हमें आश्वासन दिया था कि मुस्लिम पर्सनल लॉ, जो किसी प्रथा एवं परंपरा पर नहीं बल्कि पवित्र कुरान और प्रामाणिक हदीसों के आधार पर है, इसका संवैधानिक संरक्षण किया जाएगा, लेकिन आज हम जिस स्थिति का सामना कर रहे हैं, वह बहुत निराशाजनक है। अगर इन परिस्थितियों का समाधान नहीं हुआ तो मुसलमान निराशा का शिकार हो जाएंगे और यह देश के लिए अच्छा संकेत नहीं है।

जमीअत उलमा-ए-हिंद की कार्यकारिणी समिति ने काफी विचार-विमर्श के बाद विशेषज्ञ वकीलों द्वारा तैयार किए गए जवाब को कुछ बदलावों के साथ मंजूरी दी है, जिसे भारत के विधि आयोग के कार्यालय में दर्ज करा दिया गया है। कार्यकारिणी समिति ने इस अवसर पर यह भी फैसला लिया है कि समान नागरिक संहिता के संबंध में मुस्लिम समुदाय के सर्वसम्मत रुख से अवगत कराने के लिए सभी मुख्यमंत्रियों और राजनीतिक दलों के अध्यक्षों के नाम पत्र लिखा जाए और भारत के राष्ट्रपति से भी मिलने का प्रयास किया जाए। यह भी निर्णय लिया गया कि विभिन्न दलों से संबंध रखने वाले मुस्लिम और गैर-मुस्लिम संसद सदस्यों को इकट्ठा कर उनसे चर्चा की जाए और उन्हें संसद में समान नागरिक संहिता के नकारात्मक प्रभावों पर आवाज उठाने के लिए सहमत किया जाए। कार्यकारिणी समिति ने अपने अपने महत्वपूर्ण निर्णय में यह घोषणा की कि सार्वजनिक प्रदर्शनों से बचा जाए, हालांकि केंद्रीय और प्रदेश स्तर पर संयुक्त प्रतितिधि सभाएं आयोजित की जाएंगी जिनमें विभिन्न वर्गों से संबंध रखने वाले लोगों और प्रभावशाली व्यक्तित्व भाग लेंगे।

वर्किंग कमेटी ने यह भी घोषणा की है कि यूसीसी के संदर्भ में आगामी 14 जुलाई शुक्रवार को ’यौम-ए-दुआ (प्रार्थना दिवस) के रूप में मनाया जाएगा।
कार्यकारिणी समिति में अन्य मामलों के तहत जमीअत उलमा-आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की वर्किंग कमेटी द्वारा एक प्रस्ताव इन दो राज्यों की इकाइयों को अलग करने का प्रस्ताव रखा गया, जिसे कार्यकारिणी समिति ने स्वीकृति प्रदान कर दी।

बैठक में कई महत्वपूर्ण हस्तियों विशेष रूप से ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष हजरत मौलाना सैयद राबे हसनी नदवी के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया गया और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई।

उनके अलावा मौलाना गुलाम रसूल शेख-उल-हदीस मदरसा इमदादिया मुंबई, मौलाना याहया नदवी बेगूसराय, मौलाना आलमगीर चौधरी, हाजी नोमान उपाध्यक्ष जमीअत उलमा बनारस, हाजी अब्दुल बासित और हाजी अब्दुल कबीर बनारस, मौलाना हाफिज नदीम सिद्दीकी के चचेरे भाई, मौलाना अशरफ की मां और इमाम कासिम चेयरमैन अल-खैर फाउंडेशन की मौसी आदि के निधन पर भी शोक व्यक्त किया गया। बैठक रविवार की शाम मौलाना मुफ्ती मोहम्मद सलमान मंसूरपुरी नायब अमीरुल हिंद की दुआ के साथ संपन्न हुई।

बैठक में जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी और महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन क़ासमी के अलावा मौलाना मोहम्मद सलमान बिजनौरी उपाध्यक्ष जमीअत उलमा-ए-हिंद, मौलाना मुफ्ती अहमद देवला उपाध्यक्ष जमीअत उलमा-ए-हिंद, मौलाना कारी शौकत अली कोषाध्यक्ष जमीअत उलमा-ए-हिंद, नायब अमीर-उल-हिंद मौलाना मुफ्ती मोहम्मद सलमान मंसूरपुरी, मौलाना बदरुद्दीन अजमल, मौलाना सिद्दीकुल्ला चौधरी कोलकाता, मौलाना मुफ्ती मोहम्मद राशिद आज़मी नायब मोहतमिम दारुल उलूम देवबंद, मौलाना अब्दुल्ला मारूफी दारुल उलूम देवबंद, हाजी मोहम्मद हारून मध्य प्रदेश, मौलाना मोहम्मद आक़िल गढ़ी दौलत, मौलाना मुफ्ती मोहम्मद अफ्फान मंसूरपुरी, मुफ्ती मोहम्मद जावेद इकबाल किशनगंज, मौलाना नियाज अहमद फारूकी एडवोकेट, डॉ. मसूद आज़मी, मौलाना सिराजुद्दीन मोईनी अजमेरी नदवी दरगाह अजमेर शरीफ, मुफ्ती इफ्तिखार क़ासमी कर्नाटक, मुफ्ती शमसुद्दीन बिजली कर्नाटक, मौलाना मोहम्मद नाज़िम पटना, हाजी मोहम्मद हसन चेन्नई, मौलाना मोहम्मद इब्राहिम केरल, मौलाना रफीक़ मज़ाहिरी, मौलाना अब्दुल कुद्दूस पालनपुरी, प्रो. निसार अहमद अंसारी अहमदाबाद, हाफिज उबैदुल्लाह बनारस, मौलाना याहया करीमी मेवात, मौलाना शेख मोहम्मद याहया बासकंडी असम, मुफ्ती अब्दुल कादिर असम, मौलाना हबीबुर्रहमान इलाहाबाद, क़ारी अय्यूब आज़मी, सऊद अहमद सैयद एडवोकेट ने भाग लिया।

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