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लखनऊ: पुलिस हिरासत में हुई मुस्लिम युवक की मौत, परिजनों ने पुलिस पर लगाया पीटने का आरोप

उत्तर प्रदेश पुलिस की हिरासत में मुस्लिम युवकों की मौत का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा हैं, जिसके कारण आए दिन पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहें हैं।

ताज़ा मामला राजधानी लखनऊ का हैं जहां दुबग्गा की आश्रयहीन कालोनी के निवासी फुरकान का बीते शुक्रवार को बच्चों की पतंग को लेकर पड़ोसी से विवाद हो गया था, जिसके बाद पुलिस फुरकान को पकड़कर थाने ले गई।

थोड़ी देर बाद संदिग्ध परिस्थितियों में पुलिस हिरासत में फुरकान की हालत बिगड़ गईं, जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

प्राथमिक जांच में डॉक्टरों ने मौत की वजह हार्ट अटैक बताया है. इस घटना को लेकर परिजनों ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं, मृतक के परिजनों का कहना है कि, फुरकान की मौत पुलिस की पिटाई से हुई हैं।

इस घटना को लेकर उत्तर प्रदेश कांग्रेस का कहना है कि, राजधानी लखनऊ में पुलिस हिरासत में 30 वर्षीय ऑटो चालक फुरकान की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. परिजनों का कहना है कि फुरकान की मौत पुलिस की मार से हुई है. वे यह भी बता रहे हैं कि बच्चों के मामूली से विवाद में पुलिस उसे उठा कर ले गई थी।

बाबा की पुलिस को गरीबों पर अत्याचार करने की कोई सीमा नहीं. आख़िर यूँ ही तो यह प्रदेश हिरासत में मौतों के मामले में नम्बर 1 तो नहीं बना है. बाक़ी, इस मामले में तो आरोपी मुस्लिम था और इस शासन व इसके प्रशासन को तो इस वर्ग से है ही जातीय शत्रुता. मगर, पुलिस की ये हिंसक नीति कब तक चलेगी? कब तक गरीबों और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार किया जाता रहेगा?

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