मध्य प्रदेश के धार में एक बार फ़िर तथाकथित हिंदुत्ववादी संगठनों की शौर्य यात्रा के दौरान सांप्रदायिक तनाव हो गया।
1992 में बाबरी मस्जिद शहीद करने के बाद से मध्य प्रदेश के धार जिले में विश्व हिंदू परिषद (VHP), राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) समेत हिंदुत्ववादी संगठन शौर्य यात्रा निकलते हैं।
जिसका आयोजन इस बार भी हिंदुत्ववादी संगठनों के द्वारा किया जा रहा था. यह यात्रा 23 दिसंबर को धार ज़िले में निकल रहीं थीं. जिसमें 5 हज़ार से अधिक लोगों की भीड़ मौजूद थीं तथा ज्यादातर लोगों के हाथों में तलवारें थीं।
शौर्य यात्रा जैसे ही मनावर में पहुंची तो भीड़ में मौजूद लोग प्रशासन द्वारा तय रूट के बजाए गांधी नगर (जो मुस्लिम बहुल इलाका हैं) उसमें घुसने लगे. पुलिस ने लोगों को रोकने की कोशिश की, लेकिन यात्रा में मौजूद लोग पुलिस से ही भिड़ गए. इस दौरान भीड़ और पुलिस के बीच कथित झड़प भी ही गई तथा पुलिस द्वारा मामूली बल प्रयोग करने पर भगदड़ मच गई।
भगदड़ मचने के बाद इलाक़े में अफ़वाह फैल गई के दंगा हो गया. अफ़वाह फैलने के बाद घटना स्थल से एक किलोमीटर दूर बालीपुर फाटा इलाक़े में दो समुदायों के लोगों के बीच में जमकर पत्थरबाजी होने लगीं. तथा कुछ लोग गाड़ियों को भी नुकसान पहुंचाने लगें. जिससे इलाक़े में तनाव का माहौल पैदा हो गया।
इस घटना के बाद पुलिस ने तीन अलग-अलग मामले दर्ज़ करके 25 लोगों को नामजद किया, जिसमें से अब तक 15 लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका हैं. जिनमें से सभी अभियुक्त मुसलमान ही हैं।
पुलिस की एक तरफा कार्यवाही के कारण इलाक़े के लोग दहशत में हैं. मुसलमान डर की वजह से इस घटना के बारे में बात नहीं करना चाहते. उनका कहना है कि अगर उन्होंने इस घटना के बारे में कुछ बताया तो पुलिस उन्हें भी आरोपी बना कर गिरफ़्तार कर सकती है।
पुलिस प्रशासन ने एक तरफा कार्यवाही करते हुए ख़लील खत्री नामक मुस्लिम व्यक्ती का मकान भी गिरा दिया. खलील फैब्रिकेशन का काम करते हैं. यह पूरा मकान उन्होंने कुछ लोगों को किराये पर दे रखा था. जबकि वह कुछ दूरी पर दूसरे मकान में रहते थे।
पुलिस अधीक्षक देंवेद्र पाटिदार का कहना हैं कि “ख़लील खत्री के मकान में जो लड़के रहते हैं उन्होंने इस घटना में मुख्यरुप से भूमिका अदा की हैं तथा मकान से तलवार, कैची और कुल्हाड़ी भी बरामद हुई हैं।”
देंवेद्र पाटिदार के अनुसार “मकान के दस्तावेज़ जांचने के बाद पता चला हैं कि यह बगैर अनुमति के निर्मित किया गया था. जिसके कारण अवैध अतिक्रमण को तोड़ने की कारवाई की गई हैं.”
ख़लील खत्री का कहना हैं कि “मेरा इस मामले से कोई लेना-देना नहीं था. वो लड़के किराए पर रहते थे. मेरे पास इस मकान की रजिस्ट्री हैं. मकान बनाने में मैने 40 लाख रुपये खर्च किए थे. लेकिन पुलिस ने मेरा माकन तोड़ दिया।
आपको बता दें कि 2016 में भी शोर्य यात्रा निकाली गई थी. उस वक्त भी मनावर में ही सांप्रदायिक हिंसा भड़की थी. जिसमें एक विशेष समुदाय के लोगों की 16 दुकानों को कथित आग के हवाले कर दिया गया था. जिसके बाद इस यात्रा पर रोक लगा दी गई थी. लेकिन पांच साल बाद जब फिर से इस यात्रा को निकाला गया तो बार एक बार फिर सांप्रदायिक तनाव फैल गया।
फिल्हाल स्थिती नियंत्रण में हैं. लेकिन लगातार पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहें हैं।