महाराष्ट्र में बीते रविवार की शाम को सादिक उस्मान शेख अपनी पत्नी, छह साल के बेटे और तीन साल की बेटी के साथ मोटरसाइकिल पर सवार होकर लातूर में अपनी बहन के घर पर जा रहे थे।
लेकिन रास्ते में पीछे से आ रही फोर्ड फिएस्टा कार में बैठे हिंदुत्ववादियों ने सांप्रदायिक गालियां देते हुए मोटरसाइकिल में टक्कर मार दी थी, जिसमें सादिक की पत्नी और बेटी की मौत हो गई।
न्यूजलॉन्ड्री की रिपोर्ट के मुताबिक़, लातूर में एक फाइनेंस कंपनी में काम करने वाले सादिक दोपहर में अपनी मां को दवाई देने के लिए औसा में अपनी बहन के घर अपने परिवार के साथ जा रहे थे।
सादिक के छोटे भाई अली शेख ने बताया कि रास्ते में एक फोर्ड फिएस्टा ने कथित तौर पर बाइक के सामने आकर गाड़ी को मोड़ दिया और फिर उसकी गति धीमी कर दी. अली ने आरोप लगाया कि जब सादिक ने लापरवाही से गाड़ी चलाने पर आपत्ति जताई, तो समूह ने कथित तौर पर सांप्रदायिक गालियाँ दीं. सादिक को ‘लांड्या’ (यह महाराष्ट्र में मुसलमानों के खिलाफ इस्तेमाल किया जाने वाला अपमानजनक शब्द है) कहा।
परिवार के वकील अल्ताफ काजी ने दावा किया है कि कार में बैठे लोगों ने परिवार को मुस्लिम बताया, क्योंकि सादिक की पत्नी इकरा ने बुर्का पहना हुआ था।
अली ने दावा किया कि पेठ गांव में बाइक को टक्कर मारने से पहले उन्होंने पांच किलोमीटर तक उसका पीछा किया। “टक्कर इतनी जोरदार थी कि मोटरसाइकिल गड्ढे में जा गिरी, जिससे मेरी भाभी और भतीजी की मौके पर ही दुखद मौत हो गई। कल्पना कीजिए कि मुसलमानों के प्रति उनके दिलों में कितनी नफरत है; उन्हें दो छोटे बच्चों की भी परवाह नहीं थी।”
घटना के दो दिन बाद पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 103(1) और 352 के तहत फिर दर्ज कर चार आरोपियों को गिरफ्तार किया, जिनकी पहचान मनोज माने, बसवराज धोत्रे, मनोज मुड्डामे और कृष्णा वाघे के रूप में हुई। पांचवां संदिग्ध, जिसकी पहचान दिगंबर पाधुरे के रूप में हुई है अभी फरार है।
इस मामले को लेकर पूर्व IPS अब्दुर रहमान का कहना है कि, लातूर के कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं की सुचना पर मैंने sp से बात की और तब ipc की धारा 302 के अधीन केस दर्ज हुआ वरना पुलिस 304 में केस दर्ज करने जा रही थी. केस दर्ज हो गया है, गाड़ी जब्त हो गई और अपराधी भी पकड़ लिए गए हैं।
अब्दुर रहमान का कहना है कि, यह तो ठीक है लेकिन सवाल उठता है कि नफरत समाज में कितनी गहराई तक फ़ैल चुकी है. मुसलमानो को कितना कमजोर और लाचार समझा जा रहा है. उनकी जान कि कोई कीमत नहीं. नफरत का खेल कब रुकेगा ? यह देश और समाज के लिए ठीक नहीं है।