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मोदी सरकार ने किया अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्ज़ा देने का विरोध, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई ज़ारी

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी हमेशा से भारत के कथित कट्टरपंथियों की आंख में चुभती आई हैं, जिसकी वजह से यह लोग अक्सर इसका माइनोरिटी स्टेटस छीनने की मांग करते रहते हैं।

लेकिन इस बार बात सिर्फ़ बयानबाजी तक सीमित नहीं है बल्कि मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया हैं तथा मोदी सरकार ने कोर्ट में एएमयू को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्ज़ा देने का विरोध किया हैं।

सुप्रीम कोर्ट में एएमयू के माइनोरिटी स्टेटस की वैधता को लेकर सुनवाई चल रही है. सात सदस्यीय जजों की पीठ पिछले 3 दिन से सुनवाई कर रहीं हैं।

इस मुद्दे को लेकर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी है कि एएमयू एक राष्ट्रीय संस्थान है, न कि अल्पसंख्यक संस्थान।

इस मामले में एएमयू ओल्ड बॉयज़ एसोसिएशन की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एएमयू की अल्पसंख्यक स्थिति के समर्थन में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि, शिक्षा के मामले में मुसलमान अनुसूचित जाति से भी नीचे हैं।

हम पर्याप्त रूप से सशक्त नहीं हैं और खुद को सशक्त बनाने का एकमात्र तरीका शिक्षा है, मैं अदालत से अनुरोध करता हूं कि कृपया एएमयू के माइनोरिटी स्टेटस को नष्ट करने की अनुमति न दें।

इस मुद्दे को लेकर एआईएमआईएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी का कहना है कि, मोदी सरकार एएमयू को अल्पसंख्यक दर्जा देने का यह कहकर विरोध कर रही है कि यह एक “राष्ट्रीय संस्थान” है। संविधान का अनुच्छेद 30 अल्पसंख्यकों द्वारा स्थापित और प्रशासित किसी भी संस्था की रक्षा करता है। एएमयू शुरू से ही एक अल्पसंख्यक संस्थान रहा है जिसने भारत के विकास में योगदान दिया है। मुसलमानों के प्रति मोदी सरकार की नफरत सबके सामने है। यह मुसलमानों को उच्च शिक्षा प्राप्त करना और मुख्यधारा में भाग लेना बर्दाश्त नहीं कर सकता।

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