माहे रमज़ान में पढ़ी जाने वाली तरावीह की नमाज़ को लेकर उत्तर प्रदेश में बजरंग दल वालों ने विवाद खड़ा कर दिया हैं, जिसके बाद से पुलिस प्रशासन की कार्यवाही पर भी सवाल खड़े हो रहें हैं।
मामला मुरादाबाद के कटघर थाना क्षेत्र के लाजपत नगर का हैं, ज़ाकिर आयरन स्टोर में बीते 25 मार्च को 20-25 लोग तरावीह की नमाज़ पढ़ रहें थे, जिसपर बजरंग दल के प्रदेश अध्यक्ष रोहन सक्सेना ने विरोध जताया तथा पुलिस को नई परंपरा शुरू करने की सूचना दी।
शिकायत के बाद गोदाम के बाहर पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई. हालांकि पुलिस का कहना हैं कि, कार्यक्रम पुलिस की मौजूदगी में पूरा कराया गया. जिसके बाद पुलिस ने तरावीह की नमाज को परंपरागत रीति रिवाजों के साथ पहले से तय धार्मिक स्थानों यानी मस्जिद में ही पढ़ने की बात कही।
पत्रकार सदफ आफ़रीन के मुताबिक़, पहले नमाज़ न पढ़ने देने का नोटिस, फिर जुर्माना. अब खुद के घर मे नमाज़ पढ़ना इतना बड़ा अपराध हो गया है कि मजिस्ट्रेट पर्थम ने 5–5 लाख का नोटिस थमा दिया. मुरादाबाद प्रशासन से बस छोटा सा सवाल, किस कानून के अंतर्गत ये जुर्माना लगाया गया है? मतलब कानून के रखवाले ही क़ानून की धज्जियां उड़ा रहे है. क्या भारत का मुसलमान दूसरे दर्जे का नागरिक है?
प्रशासन बजरंग दल जैसे उग्र भीड़ को समाज में नफरत फैलाने के लिए बढ़ावा दे रहीं है. 5–5 लाख का नोटिस थमा दिया गया. अपने घर में नमाज़ पढ़ने को जुर्म करार कर दिया गया. देश को किस ओर ले जा रहे है ये कानून के रखवाले?
आपको बता दें कि, पुलिस की कार्यवाही के बाद अब मजिस्ट्रेट ने नमाज़ पढ़ रहे 10 लोगों के खिलाफ़ नोटिस ज़ारी करके पूछा हैं कि शांति भंग करने के आरोप में मैं आपके ऊपर 5-5 लाख रुपए का जुर्माना क्यों नहीं लगाऊं?