लक्षद्वीप भारत का द्वीपसमूह है जो केन्द्रशासित प्रदेश होने के साथ-साथ भारत का एक जिला भी है यहाँ पर 96 फीसदी मुस्लिम आबादी है। लेकिन लक्षद्वीप के नए प्रशासक ने यहां पर मुश्किले खड़ी कर दी है।
लक्षद्वीप भारत का एक शांत इलाका है जहाँ पर बहुत कम क्राइम रेट है उसके बावजूद भी यहाँ के नए प्रशासक प्रफुल पटेल ने “प्रिवेंशन ऑफ एंटी-सोशल ऐक्टिविटीज ऐक्ट” (PASA) पेश किया है इसको गुंडा एक्ट भी कहाँ जाता है।
गुंडा एक्ट के तहत किसी भी नागरिक को बिना जानकारी दिए एक साल तक के लिए हिरासत में रखा जा सकता है।
इस कानून का यहाँ के लोग जमकर विरोध कर रहे है लोगों का कहना है कि जब यहाँ पर क्राइम बहुत कम है तो इस कानून की क्या जरुरत है। क्या यह कानून जबरन लोगों को जेल में डालने के लिए लाया जा रहा है?
लक्षद्वीप की 96 फीसदी आबादी मुस्लिम होने के कारण यहां शराब पर प्रतिबंध था लेकिन प्रफुल पटेल ने यहां पर शराब से प्रतिबंध हटा दिया तथा बीफ (मांस) खरीदने व बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया।
प्रफुल पटेल एक भूमि से संबंधित एक नया कानून “लक्षद्वीप डेवलपमेंट अथॉरिटी रेगुलेशन 2021” भी लेकर आए है जिसके तहत यहाँ का प्रशासन को टाउन प्लानिंग या किसी दूसरी डेवलपमेंट गतिविधियों के लिए यहां के स्थानीय लोगों को उनकी संपत्ति से कभी भी हटाने या ट्रांसफर करने का अधिकार दिया गया है।
इन सभी कानूनों का विपक्ष के तमाम नेता व छात्र संगठन जमकर विरोध कर रहे है सोशल मीडिया पर भी #SaveLakshadweep कैंपेन भी चल रहा है।
आपको बता दे कि लक्षद्वीप का प्रशासक हमेशा आईएएस अधिकारी को ही नियुक्त किया जाता था लेकिन दानेश्वर शर्मा के निधन के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के करीबी एवं गुजरात की नरेन्द्र मोदी सरकार में गृहमंत्री रह चुके प्रफुल पटेल को नियमों से हटकर यहाँ का प्रशासक नियुक्त किया गया।
विपक्षी के सांसदो का कहना है कि लक्षद्वीप को कश्मीर बनाया जा रहा है सांसदो ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर तुरंत प्रफुल पटेल को वापस बुलाने की मांग की है।