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देशभर में फ़िलिस्तीन के समर्थन में हुआ विरोध प्रदर्शन, जनता बोली- हम फ़िलिस्तीन के साथ हैं

देशभर में फ़िलिस्तीन के समर्थन में हुआ विरोध प्रदर्शन, जनता बोली- हम फ़िलिस्तीन के साथ हैं

फ़िलिस्तीन के समर्थन में और इज़रायली अत्याचारों के विरोध में रविवार को देशभर में “एकजुट भारतीय जन” (IPSP) की ओर से विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया। यह प्रदर्शन इज़रायली सेनाओं द्वारा “सुमुद फ़्लोटिला” जहाज के यात्रियों को अमानवीय तरीक़े से बंधक बनाए जाने और ग़ाज़ा में जारी नरसंहार के ख़िलाफ़ था।

यह प्रदर्शन देश के कई शहरों — हैदराबाद, पटना, विशाखापट्टनम, विजयवाड़ा, पुणे और नई दिल्ली — में एक साथ आयोजित हुआ। दिल्ली में सैकड़ों लोग जन्तर-मन्तर पर जुटे और फ़िलिस्तीनी जनता के साथ एकजुटता जताई।

प्रदर्शन में भारत की क्रांतिकारी मज़दूर पार्टी, दिशा छात्र संगठन, प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट्स लीग और नौजवान भारत सभा जैसे संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए। कलाकारों, लेखकों, छात्रों, पत्रकारों और इंसाफ़पसंद नागरिकों ने बड़ी संख्या में भागीदारी की।

मौके पर प्रदर्शनकारियों ने पोस्टरों, पेंटिंग्स और नारों के ज़रिये ग़ाज़ा में जारी तबाही को दिखाया। “फ़िलिस्तीन ज़िंदाबाद”, “Down with Zionism” और “Stop the Genocide in Gaza” जैसे नारों से जन्तर-मन्तर गूंज उठा।

भारत की क्रांतिकारी मज़दूर पार्टी की ओर से शिवानी कौल ने कहा कि ग़ाज़ा में हो रहा युद्ध कोई धार्मिक संघर्ष नहीं, बल्कि फ़िलिस्तीनी जनता का आज़ादी का आंदोलन है, जिसपर ज़ायनवादी और उपनिवेशवादी ताक़तें कब्ज़ा जमाए हुए हैं।
उन्होंने कहा कि भारत पहले फ़िलिस्तीन के पक्ष में खड़ा था, लेकिन आज मोदी सरकार व्यापारिक सौदों और राजनीतिक हितों के लिए ज़ायनवादी इज़रायल का साथ दे रही है।

शिवानी ने कहा, “आज फ़िलिस्तीन के समर्थन में खड़ा होना दुनिया भर के अन्याय और दमन के ख़िलाफ़ खड़ा होना है। हमें भारत में भी वैसा ही जुझारू जनांदोलन खड़ा करना होगा जैसा कई देशों में हो रहा है।”

राजनीतिक कार्यकर्ता चिरांशु ने कहा कि 1948 से पहले इज़रायल नाम का कोई देश नहीं था — वह ज़मीन फ़िलिस्तीनी लोगों की थी, जिसे पश्चिमी ताक़तों ने ज़ायनवादियों को सौंप दिया। उन्होंने भारत की मौजूदा चुप्पी और मीडिया में फैलाई जा रही झूठी सूचनाओं पर भी सवाल उठाया।

छात्र नेता केशव ने कहा कि दुनिया के कई देशों में जनता अपने शासकों की जनविरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ और फ़िलिस्तीन के समर्थन में सड़कों पर उतर रही है।

IPSP की सदस्य प्रियम्वदा ने भारत में चल रहे BDS (Boycott, Divestment, Sanctions) अभियान की रिपोर्ट रखी। उन्होंने बताया कि किस तरह संगठन भारत में फ़िलिस्तीन समर्थक जनआंदोलन को मज़बूत करने की दिशा में काम कर रहा है।

सभा को दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफ़ेसर मधु प्रसाद और सेवानिवृत्त प्रोफ़ेसर नंदिता नारायण ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि भारत, जिसने स्वयं उपनिवेशवाद का दमन झेला है, उसे फ़िलिस्तीनी जनता के साथ एकजुट रहना चाहिए।

सभा के अंत में प्रदर्शनकारियों ने संकल्प लिया कि वे फ़िलिस्तीन की जनता के संघर्ष के साथ मज़बूती से खड़े रहेंगे और भारत सरकार के फ़ासीवादी-ज़ायनवादी गठजोड़ का विरोध जारी रखेंगे।

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