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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक मोहम्मद मोकिम को पार्टी से निकाला, बोले- ‘राहुल गांधी के “डरो मत” से प्रेरित होकर सच कहा, तो सजा मिली’

कांग्रेस पार्टी द्वारा ओडिशा के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक मोहम्मद मोकिम को बाहर किए जाने के बाद पार्टी के भीतर आंतरिक लोकतंत्र और संवाद की कमी पर बहस तेज हो गई है।

निष्कासन के बाद पहली बार सार्वजनिक प्रतिक्रिया देते हुए मोकिम ने कहा कि पार्टी में सुधार की जरूरत पर सवाल उठाना “अनुशासनहीनता” मान लिया गया।

मोकिम का कहना है कि उन्होंने नेतृत्व के खिलाफ नहीं, बल्कि संगठन को मजबूत करने के इरादे से अपनी बात रखी थी। उनके अनुसार, कांग्रेस लगातार चुनावी झटकों का सामना कर रही है और कई राज्यों में जनता से उसका संपर्क कमजोर होता जा रहा है, लेकिन जमीनी स्तर की बातों को शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचने का रास्ता बंद होता दिख रहा है।

पूर्व विधायक ने संकेत दिया कि पार्टी में आत्ममंथन के बजाय असहमति को दबाने की प्रवृत्ति बढ़ी है। उन्होंने कहा कि बिहार और दिल्ली जैसे चुनावी नतीजे बताते हैं कि केवल नेतृत्व परिवर्तन या निष्कासन से स्थिति नहीं सुधरेगी, बल्कि संगठनात्मक ढांचे में गहरे सुधार की जरूरत है।

मोकिम ने यह भी कहा कि उनकी ओर से उठाए गए सवाल व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा से नहीं जुड़े थे, बल्कि पार्टी के भविष्य को लेकर चिंता से प्रेरित थे। उनके मुताबिक, एक ऐसे समय में जब कांग्रेस खुद को पुनर्जीवित करने की बात कर रही है, तब आलोचनात्मक सुझावों को सजा देना सही संदेश नहीं देता।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला सिर्फ एक नेता के निष्कासन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह कांग्रेस के भीतर विचारों की स्वतंत्रता और निर्णय प्रक्रिया को लेकर उठते सवालों को भी सामने लाता है। आने वाले समय में यह देखना अहम होगा कि पार्टी इस विवाद को संगठनात्मक सुधार के अवसर के रूप में लेती है या इसे महज अनुशासनात्मक कार्रवाई तक सीमित रखती है।

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