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राज्य डर और भय से नहीं, बल्कि न्याय एवं निष्पक्षता से चलते और तरक़्क़ी करते हैंः मौलाना अरशद मदनी

जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने हल्द्वानी में पुलिस फायरिंग और क्रूरता का शिकार हुए लोगों से कहा कि इस कठिन समय में जमीयत उलमा-ए-हिंद उनके कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है।

हल्द्वानी में पुलिस कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि पुलिस की क्रूरता और बर्बरता का एक लंबा इतिहास है, चाहे मलियाना हो या हाशिमपुरा, मुरादाबाद हो या हल्द्वानी, हर जगह पुलिस का एक ही चेहरा देखने को मिलता है। हालांकि पुलिस का काम कानून-व्यवस्था बनाए रखना और लोगों के जीवन और संपत्ति की रक्षा करना है, लेकिन दुर्भाग्य से पुलिसे शांति बनाए रखने के बजाय, अल्पसंख्यकों विशेष रूप से मुसलमानों के साथ एक पार्टी जैसा व्यवहार करती है।

मौलाना मदनी ने कहा कि यह याद रखना चाहिए कि न्याय के दोहरे मापदंड से ही अराजकता और विनाश के रास्ते खुलते हैं, इसलिए कानून का मानक सभी के लिए समान होना चाहिए और धार्मिक रूप से किसी भी नागरिक के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए, क्योंकि इसकी अनुमति न तो देश का संविधान देता है और न ही कानून।

उन्होंने आगे कहा कि देश डर और भय से नहीं बल्कि न्याय और निष्पक्षता से चलता और विकास करता है। अगर देश की एक बड़ी आबादी असुरक्षित महसूस करने लगे तो यह बहुत खतरनाक और निराशाजनक बात है। याद रखिये, लोकतांत्रिक व्यवस्था और समानता से ही किसी भी देश के विकास का मानक तय किया जा सकता है, केवल दावा करने से कुछ नहीं होता।

मौलाना मदनी ने यह भी कहा कि निस्संदेह सांप्रदायिकता और धर्म के आधार पर नफरत पैदा करने के कारण देश की स्थिति बहुत निराशाजनक और घातक हो गई है, परन्तु हमें निराश होने की जरूरत नहीं, आशाजनक बात यह है कि इतने अत्याचार के बावजूद देश के अधिकांश लोग साम्प्रदायिकता के खिलाफ हैं, हम एक जीवित समाज हैं और जीवित समाज परिस्थितियों की दया पर निर्भर नहीं रहता, बल्कि अपने चरित्र से स्थिति को बदल देता हैं। यह हमारी परीक्षा का समय है इसलिए हमें किसी भी अवसर पर अपना धर्म, विश्वास, धैर्य, आशा और दृढ़ता को नहीं छोड़ना चाहिए। समय सदैव एक समान नहीं रहता। समाज पर परीक्षा की घड़ियां इसी प्रकार से आती रहती हैं।

मुसलमान दुनिया में लिप्त होने के लिए नहीं आया है, वह चैदह सौ वर्षों से इन्हीं परिस्थितियों में जीवित है और कयामत तक जीवित रहेगा। मुसलमानों को अपना हौसला बुलंद रखना चाहिए, इस चिराग को कोई बुझा नहीं सकता। रहती दुनिया तक अल्लाह-अल्लाह कहने वाले रहेंगे, जिस दिन ये नहीं रहेंगे उस दिन यह दुनिया भी नहीं रहेगी। यही हमारी आस्था और विश्वास है।

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