ओडिशा के कटक शहर में दुर्गा पूजा विसर्जन जुलूस के दौरान सांप्रदायिक तनाव ने हिंसक रूप ले लिया। 6 अक्टूबर की शाम भगवा शॉल ओढ़े करीब 6,000 लोगों की भीड़ ने मुस्लिम बहुल दरगाह बाजार क्षेत्र में अचानक हमला कर दिया। भीड़ ने दुकानों, वाहनों और सार्वजनिक संपत्ति में तोड़फोड़ की और कई दुकानों में आग लगा दी।
सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो में देखा जा सकता है कि जहां एक दिन पहले तक बाजार में रौनक थी, वहीं अब राख और खंडहर बचे हैं।
स्थानीय लोगों के मुताबिक, यह घटना दुर्गा प्रतिमा विसर्जन जुलूस के दौरान शुरू हुई थी, जब कुछ युवकों ने दरगाह के पास तेज आवाज़ में डीजे बजाया और कथित तौर पर एक मुस्लिम लड़की पर अभद्र टिप्पणी की। इसके बाद दोनों समुदायों के बीच झड़प हो गई।
तनाव बढ़ने पर दोनों ओर से पथराव हुआ और पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा। झड़प में पांच पुलिसकर्मी घायल हो गए। पुलिस ने 6 लोगों को गिरफ्तार किया और इलाके में शांति बहाल की। हालांकि अगले दिन भीड़ फिर से इकट्ठा हुई और हिंसा भड़क उठी।
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि हिंसक भीड़ बाहरी थी। एक निवासी ने बताया, “हमने इनमें से ज्यादातर लोगों को पहले कभी नहीं देखा था। सब कुछ योजनाबद्ध लग रहा था।” इस दौरान भीड़ ने “अल्लाह और इस्लाम के खिलाफ नारेबाजी” की और “जय श्री राम” के नारे लगाए।
दुकानदार सोहेल ने बताया कि उनकी तीन दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया। “मैं दोपहर में घर गया था, और जब लौटा तो सब जलकर राख हो चुका था। मैंने मेहनत से जो कुछ बनाया था, वो सब खत्म हो गया,” उन्होंने भावुक होकर कहा।
द ऑब्जर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक़, स्थानीय लोगों का आरोप है कि हमलावरों ने मुसलमानों की दुकानों को चुन-चुनकर निशाना बनाया, जबकि हिंदू दुकानों को नहीं छुआ गया। लगभग 24 दुकानों को आग लगा दी गई और कई ठेलों को पूरी तरह जला दिया गया।
स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस छोड़ी और इलाके में 36 घंटे का कर्फ्यू लगा दिया गया। इसके अलावा, 5 अक्टूबर शाम से 7 अक्टूबर शाम तक इंटरनेट सेवाएं बंद रहीं।
गांधी शांति प्रतिष्ठान के संयोजक डॉ. विश्वजीत गांधी ने इसे “पूर्व नियोजित हमला” बताया और पुलिस पर स्थिति संभालने में विफल रहने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि “अगर जुलूस को मुस्लिम क्षेत्र में जाने से रोका जाता, तो यह हिंसा नहीं होती।”
फिलहाल पुलिस ने 6 मुसलमानों और 8 हिंदू युवकों को गिरफ्तार किया है। इलाके में तनाव अभी भी कायम है, जबकि पीड़ित परिवार मुआवजे और सुरक्षा की मांग कर रहे हैं।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह घटना न केवल आर्थिक तबाही है, बल्कि आपसी सौहार्द पर भी गहरी चोट है। वे सवाल पूछ रहे हैं — “हमने क्या गुनाह किया कि हमारी रोज़ी-रोटी जला दी गई?”

