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कर्नाटक में सेक्युलर एजेंडे पर चलने वाली ‘कांग्रेस’ मध्य प्रदेश में ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ की राजनीति क्यों कर रही हैं?

भारतीय जनता पार्टी (BJP) की हिंदुत्व वाली राजनीति से लड़ने के लिए कांग्रेस कहीं तो सॉफ्ट हिंदुत्व अपना लेती हैं तो कहीं सेक्युलर हो जाती हैं।

हाल ही में सेक्युलर पार्टी बनकर कर्नाटक विधानसभा चुनाव जीतने वाली कांग्रेस पार्टी मध्य प्रदेश में खुले तौर पर सॉफ्ट हिंदुत्व के एजेंडे के साथ चुनावी मैदान में सक्रीय नज़र आ रही है।

इस साल नवंबर में होने वाले मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर चलते हुए हिंदुत्ववादी संगठन बजरंग सेना का अपनी पार्टी में विलय किया था।

जबकि इसी कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने कर्नाटक में अपने सार्वजनिक भाषणों में बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने, हिजाब पर लगे प्रतिबंध हटाने के साथ साथ अपने धर्मनिरपेक्ष एजेंडे पर चलते हुए चार प्रतिशत मुस्लिम आरक्षण को फिर से बहाल करने का वादा किया था।

जिसके नतीजे में कर्नाटक की जनता ने झोली भरकर कांग्रेस पार्टी को वोट दिया था तथा भाजपा को बुरी तरह हराया था।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना हैं कि कर्नाटक में कांग्रेस अपने धर्मनिरपेक्ष एजेंडे के ही सत्ता में आई थीं. हालाँकि यह एजेंडा मध्य प्रदेश पहुंचते पहुंचते सॉफ्ट हिंदुत्व में बदल दिया है।

क्या कांग्रेस पार्टी को यह लगता हैं कि उसका सेक्युलर ऐजेंडा मध्य प्रदेश या हिंदी पट्टी के बाकी राज्यों में काम नहीं करेगा, जो क्षेत्र पूरी तरह से भगवामय है और भाजपा की हार सुनिश्चित करने के लिए पार्टी को अपनी चाल और नज़रिया बदलना होगा, जिसके लिए हिंदुत्व मुख्य चुनावी मुद्दा है?

हालांकि अगर आंकड़ों देखे तो पता चलता हैं कि जिस भी राज्य में कांग्रेस पार्टी ने सॉफ्ट हिंदुत्व के एजेंडे पर काम किया उस राज्य को कांग्रेस पार्टी की बुरी तरह हार हुई हैं।

इंडिया टुमारो की रिपोर्ट के मुताबिक़, आबादी के लिहाज़ से सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पूरी तरह से ख़त्म होती चली गई और राज्य विधानसभाओं में विधायकों की संख्या और उसके सांसदों की संख्या भी कम हो गई. यदि सॉफ्ट हिंदुत्व भाजपा को हराने का एक प्रभावी हथियार हो सकता था, तो कांग्रेस को यहाँ जीतना चाहिए था. लेकिन यूपी, बिहार और मध्य प्रदेश के साथ-साथ गुजरात और महाराष्ट्र के पश्चिमी राज्यों सहित हिंदी बेल्ट में दो दशकों के विधानसभा चुनावों के इतिहास की एक झलक से पता चलता है कि चुनावों में कांग्रेस के सॉफ्ट हिंदुत्व दृष्टिकोण के बावजूद पार्टी को पिछले 20 वर्षों के सभी विधानसभा चुनावों में अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा. कांग्रेस ने जितना सॉफ्ट हिंदुत्व का रुख अपनाया, उतना ही उसने अपनी राजनीतिक जमीन खो दी और वह हिंदी पट्टी और पश्चिमी भारत से पूरी तरह से गायब हो गई. देश के बाकी हिस्सों में भी पार्टी का यही हाल है क्योंकि यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें कांग्रेस बीजेपी का मुकाबला नहीं कर सकती है।

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