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भारत

कहीं हम शिफा उर रहमान के साथ भी इरोम शर्मीला वाला सुलूक तो नहीं करेंगे न?

एक अच्छे परिवार से संबंध रखने वाले शिफाउर रहमान खान पिछले पांच साल से हमारे लिए CAA और NRC के मुद्दे पर जेल में बंद हैं। इतने सालों में सुनवाई के नाम पर केवल छलावा देखते हुए उनका पूरा परिवार टूट चुका है।

अब दिल्ली विधानसभा चुनाव में शिफा भाई ओखला से चुनाव लड़ रहे हैं मगर मुझे डर लग रहा है!

आखिर क्यों?

वजह ये है कि इरोम शर्मिला ने भी मणिपुर के लोगों के मानवाधिकारों के लिए 16 साल तक भूख हड़ताल की थी। जब वो चुनाव में उतरी तो उसी मणिपुर के लोगों ने केवल 90 वोट दिए थे।

आप सोच कर देखिये एक महिला ने अफस्फा जैसे काले कानून के खिलाफ जिन लोगों के लिए इतना लंबा संघर्ष किया उन लोगों ने उसके साथ राजनीतिक तौर पर क्या किया था!

अब सोचिये अगर हम लोग ऐसा ही कुछ अगर शिफाउर रहमान के साथ भी कर दिए तो?

याद रखिये अगर एक व्यक्ति की इतनी क़ुरबानी के बावजूद आप राजनीतिक तौर पर मतलबी है तो आईन्दा कोई भी इंसाफ़पसन्द इंसान कौम और मिल्लत के नाम पर आपके इन्साफ के लिए कभी खड़ा नहीं होगा!

और यकीन मानिये आपको इस बात को बोलने का अधिकार भी नहीं रह जायेगा कि कोई आपकी प्रताड़ना के खिलाफ आवाज़ क्यों बुलंद नहीं कर रहा है।

वजह आपको भी मालूम है अगर आप किसी के साथ नहीं खड़े हो सकते है तो कोई भी आपके साथ नहीं खड़ा होगा।

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