अयोध्या बाकी देश के लिए भले ही हिन्दू मुस्लिम झगड़े का केंद्र रहा है मगर अयोध्या ने सामाजिक सौहार्द की ऐसी मिसाल पेश की है जो जिसकी चर्चा अब पूरे देश में हो रही है।
अयोध्या के मवई ब्लॉक का ग्राम पंचायत राजनपुर जहां 99% आबादी हिंदुओं की है। यानी कि पूरे गांव में सिर्फ एक घर ऐसा है जो मुसलमान का है बाकी उस गांव के सभी मतदाता हिन्दू समुदाय से हैं।
प्रधान पद के लिए उस गांव से कुल आठ उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे। उसमें से एक उम्मीदवार थे उस गांव के एकलौते मुस्लिम ‘हाफिज अजीमुद्दीन खां’। वैसे तो जीतने का दावा सभी उम्मीदवार कर रहे थे। लेकिन गांव वालों ने ‘हाफिज अजीमुद्दीन खां’ की ईमानदारी और व्यवहार को देखते हुए अपने गांव का प्रधान चुना।
अब इसकी चर्चा केवल अयोध्या ज़िले में ही नहीं बल्कि पूरे देश में हो रही है। और हो भी क्यों न। एक तरफ जहां लोग शराब और पैसों पर वोट करते हैं वहीं दूसरी और राजनपुर गांव जहां के लोगों ने धर्म, जात-पात से ऊपर उठकर उम्मीदवार की ईमानदारी और कर्मठता को देखकर वोट किया।
अयोध्या को हिन्दू मुस्लिम झगड़े का प्रतीक मानकर एक दूसरे धर्मों के लोगों से नफरत करने वालों लोगों को अयोध्या के इस गांव की सौहार्दपूर्ण माहौल से बहुत कुछ सीखने की ज़रूरत है।
हम इंसानों को भी बहुत कुछ सीखने की ज़रूरत है। इंसान अपने अखलाक, किरदार और ईमानदारी के बदौलत किसी का भी दिल जीत सकते हैं फिर क्या फर्क पड़ता है कि कोई किस मज़हब को मानता है। हर मज़हब हमें मानवता सीखाता है।