28 महीने बाद जमानत पर रिहा हुए पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन ने अपनी दर्दनाक दास्तां सुनाते हुए कहा कि, मुझे सिर्फ़ इसलिए निशाना बनाया गया था क्योंकि मैं एक मुसलमान था।
सिद्दीक़ कप्पन ने द वायर को बताया कि, जेल में मुझे आतंकवादी कहा जाता था, कोविड के दौरान जब मुझे अस्पताल में भर्ती कराया गया तो अस्पताल के बिस्तर पर मुझे हथकड़ी लगा कर रखा जाता था।
शौचालय का इस्तेमाल करने की भी अनुमति नहीं होती थीं, मजबूरी में मुझे एक बोतल में पेशाब करना पड़ता था, मेरे साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता था।
सिद्दीक़ कप्पन आगे बताते हैं कि मुझे केवल इसलिए “निशाना” बनाया गया क्योंकि उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की मीडिया सेंसरशिप के खिलाफ आवाज उठाई थी. इस प्रक्रिया में हिंदुत्व राजनीति के समर्थक समाचार पोर्टलों ने मुझे दिल्ली दंगों का मास्टरमाइंड होने तक का भी आरोप लगाया था।
पत्रकार आरफा खानम शेरवानी ने सिद्दीक़ कप्पन के इंटरव्यू की एक वीडियो क्लिप शेयर करते हुए लिखा कि, मेरा नाम सिद्दीक़ है, मुझे आतंकवादी बताया जायेगा तो लोग विश्वास करेंगे, मुस्लिम पत्रकार को जेल भेजने से उनका वोट बैंक मज़बूत होगा, हाथरस मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिये सत्ता ने मुझे निशाना बनाया।
इस मामले पर आरएलडी नेता प्रशांत कनौजिया का कहना हैं कि, निःसंदेह भारत में मुसलमान होना कठिन है, एक उच्च जाति का हिंदू साधू मुसलमानों और ईसाइयों के नरसंहार का आह्वान कर सकता है और एक भी एफआईआर दर्ज नहीं होती और ना ही कोई गिरफ्तारी की जाती है. लेकिन राज्य के अत्याचारों की रिपोर्ट करने पर एनएसए लगाया जा सकता है, सिर्फ इसलिए कि आप मुसलमान है।