कर्नाटक सरकार और पुलिस प्रशासन की मुस्तैदी के कारण एक एक बार उडुपी का माहौल बिगड़ने से बच गया, इस बार भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने बड़ी प्लानिंग की थीं लेकिन सब फेल हो गईं।
बीते 19 जुलाई को उडुपी के पैरामेडिकल कॉलेज में एक मामला सामने आया था, जिसमें कॉलेज प्रशासन से एक छात्रा ने शिकायत की थीं कि तीन छात्राओं ने वॉशरूम में उसका वीडियो बनाई हैं, जिसके बाद तीनों छात्राओं को निलंबित कर दिया गया था।
कॉलेज प्रशासन ने निलंबित छात्राओं से शिकायतकर्ता से माफी मंगवाई और तुरंत वीडियो को हटवाया गया, शिकायतकर्ता इस मामले पर पुलिस केस नहीं करना चाहती थी इसलिए कॉलेज ने तीनों छात्राओं को निलंबित कर मामले को शांत करा दिया था तथा स्थानीय पुलिस को भी इस मामले की जानकारी दे दी थीं।
लेकिन अचानक से यह ख़बर हिंदुत्ववादियों तक पहुंच जाती हैं और वह लोग इसको सांप्रदायिक रंग दे देते हैं क्योंकि इस मामले में आरोपी लड़किया मुसलमान थीं।
भाजपा कर्नाटक के सोशल मीडिया एकाउंट ने इस पूरी घटना को सांप्रदायिक रंग देते हुए कहा कि यह ‘जिहाद’ का एक रूप है एवं कई अन्य हिंदुत्ववादी सोशल मीडिया हैंडल ने तमिलनाडु का एक पुराना वीडियो भी शेयर किया।
इस मामले पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सिद्धलिंगप्पा ने कहा कि घटना के पीछे कोई सांप्रदायिक मकसद नहीं था. हमने लड़कियों द्वारा टॉयलेट में एक साथी छात्रा का वीडियो बनाने की घटना की जांच की और हमें कुछ भी नहीं मिला।
फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर ने कई फर्जी ट्विट के स्क्रीनशॉट शेयर किए हैं, जिनमें पूरी तरह से झूठ परोसा गया हैं।
https://twitter.com/zoo_bear/status/1683520186949980162?s=20
पत्रकार सदफ आफ़रीन के मुताबिक़, अमित मालवीय व उसका पूरा ग्रुप दिन रात झूठी खबरें फैला कर देश मे अशान्ति का माहौल बनाने की कोशिश मे लगा रहता है. अमित मालवीय ने दावा किया था कि उडुपी के एक कॉलेज के टॉयलेट मे हिडेन कैमरा लगाया गया, जिसमे तीन मुस्लिम युवती शामिल है।
लेकिन यह खबर भी झूठी निकली, भाजपा नेता “खुश्बू सुंदर” ने कहा, मैं वहां गई थी, वहां कोई कैमरा नही था, यह महज़ अफवाह है कि टॉइलट में हिडन कैमरे लगे थे, कैमरा लगाने की बात में कोई सच्चाई नहीं है और झूठे वीडियो चलाए जा रहे है, खुशबू सुंदर ने घटना को सांप्रदायिक रंग न देने का अनुरोध भी किया है।