मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ इंडिया (MSO) ने सुनहरी बाग मस्जिद के संभावित विध्वंस पर कड़ी आपत्ति जताई है और NDMC के साथ साथ हेरिटेज कंजर्वेशन कमेटी से अपील की है कि तकनीक के युग में यातायात व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने के लिए वैकल्पिक उपाय किए जा सकते हैं और इसके लिए मस्जिद को हटाना अंतिम विकल्प नहीं है।
MSO के राष्ट्रीय महासचिव जीशान करीमी ने कहा है कि हेरिटेज कमेटी का उद्देश्य एतिहासिक इमारतों के संरक्षण का है, और मस्जिद को हटाने के प्रस्ताव से उसके गठन का मूल उद्देश्य प्रभावित होता है।
करीमी ने कहा कि MSO एनडीएमसी के मुख्य वास्तुकार द्वारा दिए गए मनमाने सार्वजनिक नोटिस से बेहद चिंतित हैं, जिसमें कहा गया है कि सुनहरी बाग चौराहे के आसपास बेहतर यातायात प्रबंधन के लिए दिल्ली ट्रैफिक पुलिस से आधिकारिक अनुरोध प्राप्त करने के बाद एनडीएमसी “सुनहरी मस्जिद (ग्रेड-III हेरिटेज बिल्डिंग) को हटाने” पर विचार कर रही है।
उन्होंने कहा कि इस मस्जिद को ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दर्जा प्राप्त है और यह दिल्ली के 141 ऐतिहासिक स्थानों की सूची में शामिल है और इसे धार्मिक महत्व का दर्जा भी प्राप्त है। ऐसे मे इसको गिराए जाने की प्लैनिंग से “राजनीतिक लाभ” और अराजकता फैलाने का अंदेशा नज़र आरहा है।
उन्होंने कहा कि जामा मस्जिद के तत्कालीन इमाम (वर्तमान इमाम के दादा) ने भारत के मुसलमानों की ओर से तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए जिसमें मस्जिद की सुरक्षा की गारंटी दी गई थी। इसके अलावा मस्जिद की सुरक्षा को लेकर कुछ अन्य समझौते भी हुए हैं। साथ ही इस मस्जिद के संबंध में 18 दिसंबर 2023 को दिल्ली हाई कोर्ट का एक फैसला आया था, जिसमें आश्वासन दिया गया था कि इस मस्जिद को कोई नुकसान नहीं होगा। न्यायालय के आश्वासन के बावजूद इसको तोड़ने के लिए जनता की राय लेना असंवैधानिक है।
करीमी ने कहा कि MSO उपरोक्त मसले पर न्यायालय जाने पर विचार कर रही है जिसमें इस ऐतिहासिक और धार्मिक विरासत की सुरक्षा सुनिश्चित करने का अनुरोध करेगी।