बिहार में कोरोना वायरस का संक्रमण अभी कम नही हुआ। शहरों के बाद अब वायरस गांवो में अपना कहर बरपा रहा है। लेकिन सरकार द्वारा लगातार आकड़े छुपाने की कोशिश की जा रही है।
नीतीश कुमार की सरकार का दावा था कि मई के महीने में राजधानी पटना में कोरोना वायरस के संक्रमण से 446 मौतें हुई है लेकिन सच्चाई कुछ ओर कुछ ओर ही है।
दैनिक भास्कर की पड़ताल में पता चला कि मई के महीने में राजधानी पटना के सिर्फ तीन शमशान घाटों में 1548 लाशें जली है। जिससे पता चलता है कि सरकार बहुत बड़े पैमाने पर मौत के आकड़े छुपा रही है।
इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में मौजूद शमशान घाट के संचालकों का कहना है कि हमारे यहां रिकार्ड रखने की कोई वयवस्था नही है इसलिए कोई संख्या नही बताई जा सकती।
गांवो का हाल यह है कि अगर कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमित है ओर वह बिना जाँच के मर गया तो उसकी मौत कोरोना वायरस से नही मानी जाएंगी।
बिहार के गांवो में आज भी कई किलोमीटर तक कोरोना जाँच केन्द्र नही है जिस कारण लोग बिना जाँच कराए ही अपना जान गवां देते है इसलिए सरकार इनके आकड़े भी नही रखती।
रिपोर्ट के अनुसार बिहार में बहुत बड़े पैमाने पर आकड़े छुपाने का खेल चल रहा है बल्कि सच्चाई बताती है कि बिहार में बहुत व्यापक स्तर पर लोगों ने कोरोना वायरस से जान गवाई है।