मुसलमानो के खिलाफ़ नफ़रत इस कदर बढ़ चुकी हैं कि अब मुसलमानो को किराए पर कमरा भी नहीं मिलता हैं अक्सर मुसलमानो को नाम और पहचान छुपाकर रहना पड़ता हैं।
प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहें मुस्लिम छात्रों को भी अक्सर इस समस्या का सामना करना पड़ता हैं। हिंदू परिवार मुस्लिम नाम सुनकर ही कमरा देने से मना कर देते हैं।
बिहार के पटना एवं उत्तर प्रदेश के भी कुछ जिलों में मुस्लिमों के किराए पर कमरे न मिलना आम बात हैं।
मुसलमानो के साथ-साथ दलितों को भी इस परेशानी का सामना करना पड़ता हैं। जिस कारण कमरा किराए पर लेने के लिए अक्सर मुस्लिम और दलित छात्रों को अपना सरनेम बदलकर त्यागी, शुक्ला, सिंह, गुप्ता रखना पड़ता हैं ताकि कमरा मिल सकें और वह लोग अपनी पढ़ाई जारी रख सकें।
इस प्रकार की समस्या का सामना भारत के सबसे युवा आईएएस अफसर अंसार अहमद शेख ने भी किया हैं।
अंसार अहमद शेख को अपने कोचिंग के दिनो में कमरा न मिलने पर नाम बदलकर रहना पड़ा था।
पत्रकार श्याम मीरा सिंह के अनुसार “IAS अंसार अहमद शेख को, अपनी तैयारी के दिनों में कमरा लेने के लिए, कोचिंग के लिए, अपना नाम बदलकर रहना पड़ा, दलितों को भी अपने सरनेम त्यागी, शुक्ला, सिंह, गुप्ता, चौहान रखने पड़ते हैं, अगर किसी को रोजी-रोटी के लिए भी नाम छुपाकर रहना पड़े तो गलती उसकी नहीं, सड़े हुए समाज की है।”
IAS अंसार अहमद शेख को, अपनी तैयारी के दिनों में कमरा लेने के लिए, कोचिंग के लिए, अपना नाम बदलकर रहना पड़ा, दलितों को भी अपने सरनेम त्यागी, शुक्ला, सिंह, गुप्ता, चौहान रखने पड़ते हैं, अगर किसी को रोजी-रोटी के लिए भी नाम छुपाकर रहना पड़े तो गलती उसकी नहीं, सड़े हुए समाज की है.
— Shyam Meera Singh (@ShyamMeeraSingh) August 24, 2021
इसी प्रकार की समस्या का सामना फिलहाल एक और यूपीएससी एस्प्रिएंट मुबीन खान को भी करना पड़ रहा हैं।
मुबीन खान का कहना हैं कि “मैं अभी IAS तो नही बना परन्तु हाँ मेरे नाम या फिर कहे धर्म जानने के बाद कई जगह मकान मालिक ने सब कुछ फाईनल होने के बाद भी कमरा देने से मना कर दिया, इसीलिए अब कमरा देखने से पहले ही ये प्रश्न करता हु “अंकल/आंटी जी मुस्लिम हूं कोई दिक्कत तो नही है कमरा देने में”।
मैं अभी IAS तो नही बना परन्तु हाँ मेरे नाम या फिर कहे धर्म जानने के बाद कई जगह मकान मालिक ने सब कुछ फाईनल होने के बाद भी कमरा देने से मना कर दिया, इसीलिए अब कमरा देखने से पहले ही ये प्रश्न करता हु "अंकल/आंटी जी मुस्लिम हूं कोई दिक्कत तो नही है कमरा देने में" ??
— Mohammad Mobeen (@Mobeen444) August 24, 2021
श्याम मीरा सिंह के अनुसार “उस मुल्क के साथ कई दिक्कतें हैं जिसकी अल्पसंख्यक जनता को पेट भरने के लिए नाम बदलकर रहना पड़े. ये इस बात की तस्दीक़ करता है कि उस मुल्क का बहुसंख्यक समाज गंभीर रूप से बीमार है जिसे मानसिक तौर पर इलाज की ज़रूरत है।”
उस मुल्क के साथ कई दिक्कतें हैं जिसकी अल्पसंख्यक जनता को पेट भरने के लिए नाम बदलकर रहना पड़े. ये इस बात की तस्दीक़ करता है कि उस मुल्क का बहुसंख्यक समाज गंभीर रूप से बीमार है जिसे मानसिक तौर पर इलाज की ज़रूरत है.
— Shyam Meera Singh (@ShyamMeeraSingh) August 24, 2021