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अकोला हिंसा: पुलिस पर बेकसूर “रिजवान अली” को थाने ले जाकर बेरहमी से पीटने का आरोप, पीठ और हाथ में मिले चोट के निशान

महाराष्ट्र के अकोला में सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट डालने को लेकर हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद से लगातार पुलिस की कार्यवाही पर गंभीर सवाल खड़े हो रहें हैं, पुलिस पर बेकसूर मुसलमानों को हिरासत में लेने का भी आरोप लग रहा हैं।

अकोला के हमजा प्लॉट क्षेत्र के निवासी रिजवान अली का आरोप हैं कि, अकोला पुलिस ने 13 से 15 मई के बीच थाने में उसकी बेरहमी पिटाई की हैं।

टाईम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, रिजवान के दाहिने पैर में फ्रैक्चर के अलावा उसकी पीठ और हाथों पर भी चोट के निशान हैं, हिरासत में कथित हमले के बाद से अली न तो खुद से उठ पा रहा है और न ही चल पा रहा है. हालांकि अकोला पुलिस ने उनके आरोपों को खारिज कर दिया है।

रिज़वान के मुताबिक़, हिंसा वाली रात मैं छत से भीड़ को देख रहा था, स्थिति सामान्य होने पर मैंने घर से बाहर कदम रखा, जैसे ही मैं बाहर आया पुलिस वालों ने मुझे पकड़ लिया और 13 मई की देर रात सीधे जूना शहर पुलिस स्टेशन ले गए।

पुलिस वालों ने मुझे गाली देते हुए बेरहमी से पीटा, मैं असहनीय दर्द से चिल्लाता हुआ फर्श पर लेटा था, मेरी हालत बिगड़ती हुई देखकर मुझे व्हीलचेयर पर अकोला जीएमसीएच अस्पताल ले जाया गया, उन्होंने मेरे पैर पर प्लास्टर किया और मुझे बेहतर इलाज के लिए नागपुर जाने को कहा।

इसके बाद पुलिस मुझे अस्पताल में ही छोड़कर चली गईं तथा मुझे हिरासत में भी नहीं दिखाया गया. मेरे माता-पिता को किसी ने अस्पताल से फोन करके मेरे बारे में बताया।

टीओआई की रिर्पोट के अनुसार, अकोला के पुलिस अधीक्षक संदीप घुगे ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि, ऐसा कुछ नहीं हुआ, हम आरोपियों से पेशेवर तरीके से पूछताछ कर रहे हैं।

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