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मोबाइल रिपेयरिंग का काम करने वाले ‘अमीनुल हक’ बने तेलंगाना की एक सरकारी संस्था में डेटा साइंटिस्ट, पाबंदी से पढ़ते थे पांचों वक्त की नमाज़

इंसान अगर कोशिश करें तो दुनियां की तमाम बुलंदियों को छू सकता हैं, इस कथन को असम के गुवाहाटी में रहने वाले अमीनुल हक ने सच साबित करके दिखा दिया हैं।

मोबाइल रिपेयरिंग का काम करने वाले अमीनुल हक ने अपनी काबिलियत और कड़ी मेहनत के दम पर गरीबी को पछाड़ते हुए तेलंगाना की एक सरकारी संस्था में डेटा साइंटिस्ट की नौकरी हासिल की हैं।

ज़ी सलाम की रिपोर्ट के मुताबिक़, अमीनुल हक एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं, पिता छोटी छोटी नौकरी करते थे जिसमें पढ़ाई का खर्च निकाल पाना बहुत मुश्किल था. लेकिन अमीनुल ने हिम्मत नहीं हारी और पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने लगें।

कड़ी मेहनत और आर्थिक बाधाओं को तोड़ते हुए उन्होने कंप्यूटर साइंस में पोस्ट ग्रैजुएट की डिग्री हासिल करके पूरे असम में टॉप किया।

अमीनुल को कंप्यूटर साइंस में इतनी दिलचस्पी थी कि उन्होंने कॉलेज टाइम में ही कंप्यूटर साइंस पर कई किताबें लिख दी थीं, जब ट्यूशन पढ़ाने से खर्च नहीं निकला तो उन्होंने पढ़ाई का खर्चा निकालने के लिए मोबाइल रिपेयरिंग का काम भी सीख लिया था।

जानकारी के मुताबिक़ उन्होनें एक सॉफ्टवेयर भी बनाया हैं जिसको लेकर असम सरकार ने उन्हें सम्मानित भी किया था।

अमीनुल यहीं नहीं रुके उन्होंने हैदराबाद के इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ इनफर्मेशन टेक्नोलॉजी साइंटिस्ट की पढ़ाई की और एग्जाम में टॉप किया।

उनकी कड़ी मेहनत को देखते हुए तेलंगाना सरकार ने उन्हें गोल्ड मेडल और डेटा साइंटिस्ट के ओहदे से भी सम्मानित किया हैं।

आपको बता दे कि इस पूरे सफ़र ने अमीनुल ने अल्लाह को हुकुम को नहीं छोड़ा, वह हमेशा पांचों वक्त की नमाज़ जरूर पढ़ते थे।

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