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असम: निर्वाचन क्षेत्रों के नए परिसीमन ने किया मुसलमानों को राजनीति से दूर, 5 मुस्लिम बहुल सीटें हुई SC-ST के लिए रिजर्व

असम में इन दिनों बड़े पैमाने पर मुसलमानों के ख़िलाफ़ साज़िश रची जा रहीं हैं, चाहे वह राजनीतिक स्तर पर हो या फ़िर आर्थिक स्तर पर हो. हर जगह यह प्लानिंग हो रहीं हैं कैसे मुसलमानों को मुख्यधारा से दूर किया जाए।

असम भारत का वह राज्य हैं जहां से अच्छी खासी तादाद में मुस्लिम समुदाय के लोग चुनाव जीतकर आते हैं, लेकिन यह बात अब मौजूदा सत्ताधारी दल को पच नहीं रहीं हैं जिसको देखते हुए मुस्लिम बहुल सीटों को एससी/एसटी के लिए रिजर्व किया जा रहा हैं।

चुनाव आयोग ने 11 अगस्त 2023 को असम में विधानसभा और लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन की अंतिम रिपोर्ट जारी कर दी हैं, जिसके बाद से आयोग पर मुसलमानों के साथ भेदभाव करने का आरोप लग रहा हैं।

नई परिसीमन में राज्य की 28 विधानसभा सीटों को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित किया गया है, जिनमें पाँच मुस्लिम बहुल विधानसभा सीटें भी शामिल हैं।

आपको बता दें कि, यह पांचों वह विधानसभा सीटें हैं जहां से अक्सर मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधि ही चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचते थे, लेकिन अब इन सीटों से मुस्लिम समुदाय का कोई भी उम्मीदवार जीतना तो दूर चुनाव लड़ भी नहीं पाएगा।

ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) प्रमुख मौलाना बदरुद्दीन अजमल का कहना है कि नए परिसीमन से राज्य में मुस्लिम-बहुल विधानसभा क्षेत्रों की संख्या 29 से घटकर अब 22 रह जाएगी।

यह योजना मुस्लिम वोटों को कम करने के लिए भाजपा द्वारा बनाई गई है. जिस तरह से हिमंत बिस्वा शर्मा ने अमित शाह के साथ मिलकर किया है, उससे ऐसा लगता हैं कि असम में केवल दो राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस ही होंगे, कोई अन्य पार्टी इनके बीच में नहीं हो सकती।

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