राजधानी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों के आरोप में गिरफ़्तार सैकड़ों बेकसूर मुस्लिम नौजवानों को अब धीरे-धीरे ज़मानत मिलने लगीं हैं।
कड़कड़डूमा कोर्ट ने दंगों के आरोप में गिरफ्तार तीन बेकसूर मुसलमानों को बाइज्ज़त बरी कर दिया हैं, इन लोगों के ख़िलाफ़ पुलिस के पास कोई भी ठोस सबूत नहीं था।
उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगे के दौरान दयालपुर इलाके में कोरियर की दुकान जलाने के मामले में कोर्ट ने न्यू मुस्तफाबाद निवासी अकील अहमद, इरशाद और चांद बाग निवासी रहीस अहमद को बरी करते हुए दिल्ली पुलिस की जांच पर भी सवाल उठाए हैं।
पुलिस ने इन तीनों युवकों को 22 फरवरी 2020 को घोंडा में सुभाष विहार निवासी दानिश की करावल नगर रोड पर स्थित कोरियर की दुकान जलाने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
इससे पता चलता है कि पुलिस ने दंगों के दौरान मुसलमान की दुकान में आग लगाने के आरोप में मुसलमानों को ही गिरफ्तार कर लिया था, जिससे पुलिस की कार्यवाही कई सवाल खड़े करती हैं।
इस मामले पर कोर्ट ने कहा कि, एक शिकायत में दंगाई भीड़ में शामिल दो लोगों के नाम बताए गए थे, जिनका आरोपपत्र में कहीं जिक्र नहीं था. यह मानना भी मुश्किल है कि मुस्लिम समुदाय के लोग दंगा करते वक्त अपने ही समुदाय से जुड़े लोगों की दुकान में आग लगाएंगे।