शास्त्री पार्क फर्नीचर मार्केट में आज दोबारा आग लगने का हादसा पेश आया है। ठीक 2 महीने पहले 11 अप्रैल को भी आग लगी थी जिसमें 200 से ज़्यादा दुकानें जल कर राख हो गयीं थी और करोड़ो रूपये का नुक़सान हुआ था।
अभी तो उस नुक़सान का कोई मुआवज़ा भी नहीं मिला था कि दोबारा आग लग गई।
एआईएमआईएम दिल्ली अध्यक्ष कलीमुल हफीज ने सवाल करते हुए कहा है आग ख़ुद लगी है या लगा दी गयी है। दिल्ली सरकार को इस कि जाँच करानी चाहिए।
शास्त्री पार्क के सी सी टी वी कैमरे कहाँ हैं? क्या वो दिल्ली दंगों की तरह ग़ायब हो गए हैं ? ये आग एक साज़िश है। सरकार के इशारों पर असामाजिक तत्व दुकानदारों को परेशान करके भगाना चाहते हैं और ज़मीन पर कब्ज़ा करना चाहते हैं।
मजलिस के अध्यक्ष ने कहा कि दिल्ली सरकार का दावा है कि उसने पूरी दिल्ली में सीसीटीवी कैमरे लगवा लगवा रखे हैं लेकिन शास्त्री पार्क मार्केट के कैमरे कहां हैं?
दिल्ली दंगों के मौके पर भी ज़्यादातर सीसीटीवी कैमरे ख़राब कर दिए गए थे ऐसा लगता है कि शास्त्री पार्क फर्नीचर मार्केट की जगह पर असामाजिक तत्व कब्ज़ा करना चाहते हैं और दुकानदारों को भगाना चाहते हैं।
सरकार की ज़िम्मेदारी है कि वह जनता के जान माल की हिफाज़त करें लेकिन दोनों सरकारें सिर्फ जुमले बाज़ियां कर रही हैं कलीमुल हफ़ीज़ ने कहा कि शास्त्री पार्क फर्नीचर मार्केट समेत तमाम बाज़ारों की सुरक्षा को यक़ीनी बनाना चाहिए।
सरकार की तरफ से हर वार्ड में कंट्रोल रूम बनाए जाएं जहां 24 घंटे इंचार्ज मौजूद हो जो उस वार्ड पर नज़र रखें और और संदिग्ध गतिविधियों की पुलिस थाने को जानकारी दें।
मजलिस के अध्यक्ष ने कहा कि जनता के जान माल की सुरक्षा किसी भी सरकार की पहली जिम्मेदारी है जिसमें दिल्ली सरकार पूरी तरह नाकाम है आए दिन आगज़नी की दुर्घटनाएँ होती रहती हैं लाॅकडाउन की मार झेल रही जनता के लिए यह दुर्घटनाएँ किसी क़यामत से कम नहीं है सरकार को चाहिए कि अपने सीसीटीवी कैमरे और दूसरे सुरक्षा के इंतजामों को चुस्त-दुरुस्त करें नुक़सान का जायज़ा लेकर मुआवज़ा दें साज़िश का पता लगाएं और मुजरिमों को सज़ा दे।
मजलिस पीड़ितों से हमदर्दी व्यक्त करने के साथ-साथ कानूनी कार्रवाई में साथ देने का यक़ीन दिलाती है।