दिल्ली हाईकोर्ट ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र एवं सोशल एक्टिविस्ट उमर खालिद की जमानत याचिका को ख़ारिज करते हुए जमानत देने से इंकार कर दिया हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस रजनीश भटनागर की बेंच ने उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद 9 सितंबर को फैसला सुरक्षित रखा था. जिसपर मंगलवार को कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए उमर खालिद की ओर से दायर जमानत याचिका खारिज कर दी हैं।
उमर खालिद की जमानत याचिका ख़ारिज होने पर कांग्रेस नेता डॉक्टर मेराज हुसैन ने कड़ा विरोध करते हुए कहा कि, किसानों को जीप से रौंदने वाले आशीष मिश्रा को बेल और उमर खालिद को जेल।
डॉक्टर मेराज हुसैन का कहना है कि, “किसानों को जीप से रौंद चार किसानों की हत्या कर देने वाले आशीष मिश्रा उर्फ मोनू मिश्रा को न्यायपालिका ज़मानत दे सकती है. लेकिन उमर ख़ालिद को 700 से ज़्यादा दिन कैद में रहने के बावजूद ज़मानत नहीं मिल पा रही है।”
आपको बता दें कि, उमर खालिद ने सेशन कोर्ट से जमानत याचिका खारिज होने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया था लेकीन यहां भी उन्हें निराशा ही हाथ लगीं।
उमर खालिद 2020 में नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में हुए दंगों के आरोप में UAPA के तहत गिरफ्तार किया था. फिलहाल उनको जेल में 700 से ज्यादा दिन हो गए हैं।