झारखंड की तथाकथित सेक्युलर सरकार एक नया नियम लेकर आ रहीं हैं, जिसके तहत इंटरमीडिएट उर्दू प्रशिक्षित सहायक शिक्षकों के पद समाप्त हो जाएंगे।
इस फ़ैसले का शिक्षक संघ से लेकर राजनीतिक दल जमकर विरोध कर रहें हैं तथा हेमंत सोरेन सरकार से इस फ़ैसले को तुरंत वापस लेने की मांग कर रहें हैं।
इस फ़ैसले को लेकर झारखंड राज्य उर्दू शिक्षक संघ के केंद्रीय महासचिव अमीन अहमद का कहना है कि एकीकृत बिहार के समय उर्दू शिक्षकों के पद सृजित हुए थे।
राज्य गठन के बाद से झारखंड में शिक्षकों के 4401 पद थे. इनमें से मात्र 689 पद पर ही शिक्षकों की नियुक्ति हुई थीं, और अब शिक्षकों के रिक्त पदों पर नियुक्ति के बदले पद ही समाप्त किया जा रहा है।
अमीन अहमद ने आगे कहा कि 1994 में लालू प्रसाद यादव की सरकार ने सबसे अधिक ऊर्दू शिक्षकों की बहाली की थी, लेकिन झारखंड के प्रारंभिक विद्यालयों में कोई बहाली नहीं की गई, इसके विपरित बिहार में लगातार बहाली हो रही है।