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मनोज मुंतशिर शुक्ला ने आदिपुरूष फिल्म में बाबरी मस्जिद विध्वंस के आरोपी विनय कटियार के भाषण को डायलॉग की शक्ल में इस्तेमाल किया है: शिवानंद यादव

बाबरी मस्जिद गिरने के बाद एक नाम बहुत मीडिया की सूर्खिंयां बटोर रहा था, वो था विनय कटियार का जो कुर्मी जाति और पिछड़े वर्ग के हैं. कट्टर पिछड़े हिन्दू कटियार ने अगड़े हिंदू अटल और अगड़े हिंदू आडवाणी से भी आगे बढ़कर कट्टर तरीके से कारसेवकों का नेतृत्व किया था।

जब बाबरी मस्जिद गिराई जा रही थी. इन्हें विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल, भाजपा तथा संघ का इस कदर आशीर्वाद प्राप्त था कि इन्ही संगठनों ने कटियार को ‘बजरंगी’ कहकर संबोधित किया. उपाख्य में मिला ये नाम विनय कटियार को बहुत पसंद आया।

विनय कटियार को एक बार गोरखपुर में बोलते हुए मैंने सुना था. तब नितिन गडकरी भाजपा के अध्यक्ष थे और वो भी बतौर अध्यक्ष यहां मौजूद थे. यह बात आज के 13 या 14 साल पहले की है।

कटियार मंच पर चढ़ते ही जनता से पूछा कि रावण की लंका में आग किसने लगाई? भीड़ ने जवाब दिया-: हनुमान जी ने. कटियार ने कहा कि, गलत कह रहे हैं आप लोग और फिर भीड़ से पूछे कि हनुमानजी की पूंछ में कपड़ा किसने बांधा? भीड़ ने कहा रावण की सेना ने, उन्होंने फिर पूछा कि, तेल किसने डाला पूंछ पर? भीड़ ने कहा-: रावण की सेना ने. कटियार ने कहा कि पूंछ में आग किसने लगाई? भीड़ ने कहा-रावण की सेना ने।

तब कटियार ने निष्कर्ष देते हुए कहा कि, “आग लगने के बाद हनुमानजी आग को बुझाने के लिए इधर-उधर दौड़ने लगे, जिससे लंका के घरों में आग लग गई और लंका जल गयी। अतः रावण ने ही अपनी लंका जलाई.” यह कहने के बाद कटियार अपनी भाषण की गाड़ी हिंदू-मुस्लिम की ओर मोड़ दिये।

कटियार सांसद भी रहे हैं. लेकिन भाजपा के हिंदुत्व में सवर्ण द्विज जातियों के नीचे ही शेष जातियों को रखा जाता है, चाहे वे कितने भी कट्टर हिन्दू क्यों न बन जायें. कटियार का सूरज भी उमा भारती की तरह अस्त होता गया. आजकल वो लाइमलाइट में भी नहीं रहते हैं।

कटियार के भाषणों को बहुत से रामकथा वाचक बाबाओं ने भी अपने अपने कथाओं में जोड़ना शुरू कर दिया और आज के लेखक मनोज मुंतशिर शुक्ला ने भी फिल्म आदिपुरूष में इसी संवाद (डायलॉग) को डाला है. जिससे शुक्ला की चारो तरफ थू थू हो रही है।

राजनीतिक जगत में जो हस्र विनय कटियार का हुआ है. फिल्म जगत में वही हस्र मनोज मुंतशिर शुक्ला का भी होने वाला है. अर्थात नफरत फ़ैलाने वाले मुंतशिर शुक्ला का भी सूरत अस्त होने वाला है।

(यह लेख शिवानंद यादव ने लिखा हैं लेखक गोरखपुर विश्वविद्यालय में शोधछात्र हैं)

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