यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) के मुद्दे को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने एक अहम बैठक बुलाई हैं जिसमें इस कानून का पुरजोर तरीके से विरोध किया गया हैं।
बोर्ड ने भारतीय लॉ कमीशन को भी अपनी आपत्तियां भेजी है. जिसमें कहा गया हैं कि, मुसलमान इस्लामिक कानूनों से बंधे हुए हैं, इसमें किसी भी तरह से बहस नहीं हो सकती है।
बोर्ड ने लॉ कमीशन को बताया कि, संविधान सभा में भी मुस्लिम प्रतिनिधियों ने समान नागरिक संहिता का विरोध किया था. इस देश का संविधान खुद यूनिफार्म नहीं है. यहां तक कि हिंदू मैरिज एक्ट भी सभी हिंदुओं पर समान रूप से लागू नहीं होता है।
बोर्ड के मुताबिक़, मुस्लिम पर्सनल लॉ कुरान और शरीयत से लिए गए हैं, जिसके कारण मुसलमानों की पहचान होती हैं, भारत के मुसलमान किसी भी कीमत पर अपनी पहचान खोने को तैयार नहीं हैं।
बैठक में साल 1949 की घटना का ज़िक्र करते हुए कहा गया कि, जब समान नागरिक संहिता पर संविधान सभा में चर्चा हुई तब मुस्लिम समुदाय ने भी इसका पुरजोर विरोध किया था तब डॉक्टर अंबेडकर के स्पष्टीकरण के बाद वो मामला खत्म हुआ था।
हालांकि अंबेडकर ने कहा था यह मुम्किन है कि भविष्य की संसद एक ऐसा प्रावधान कर सकती है कि UCC सिर्फ उन्हीं लोगों पर लागू हो जो इसके लिए तैयार होंगे।