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NSUI ने अडानी के खिलाफ़ किया विरोध प्रदर्शन, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का किया घेराव, प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने हिरासत में लिया

अदानी पर हिंडनबर्ग द्वारा हुए खुलासे के बाद आज कांग्रेस द्वारा LIC व SBI के मुख्यालयों पर देशव्यापी आंदोलन बुलाया गया था, इसी क्रम में पार्टी के छात्र संगठन एनएसयूआई ने शास्त्री भवन स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की शाखा के बाहर प्रदर्शन किया, जहां प्रदर्शन के दौरान उनकी पुलिस से झड़प हुई व छात्र नेताओं को डिटेन कर मंदिर मार्ग पुलिस स्टेशन ले जाया गया।

मीडिया से बातचीत में एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव व दिल्ली के प्रभारी नीतिश गौड़ ने कहा कि हम सड़क से संसद तक आम आदमी की लड़ाई लड़ेंगे व उनकी आवाज सरकार तक पहुंच जाएंगे, हमारे नेता राहुल गांधी जी नरेंद्र मोदी और उनके उद्योगपति मित्र के लिए जो बात सालों से कहते आ रहे हैं वह आज सच साबित होती दिख रही है, प्रधानमंत्री की चुप्पी इस ओर इशारा कर रही है कि धांधली बड़ी है जिसमें वह खुद भी हिस्सेदार हैं, हम जेपीसी के गठन की मांग करते हैं और संसद में इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए सरकार को न्योता दे रहे हैं पर सरकार अदानी को बचाना चाहती है वह देश के सामने सच नहीं रखना चाहती इसलिए चर्चा से भाग रही है।

प्रदेश एनएसयूआई अध्यक्ष कुणाल सेहरावत के नेतृत्व में एनएसयूआई राष्ट्रीय मुख्यालय से शास्त्री भवन की ओर मार्च किया गया जहां पुलिस में रास्ते में कार्यकर्ताओं को रोक दिया इस दौरान छात्रों ने व छात्र नेताओं ने अदानी व सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की, छात्रों को संबोधन करते हुए कुणाल ने कहा कि एलआईसी में इस देश के सभी घरों की मेहनत से कमाया हुआ पैसा है जब एलआईसी को अडानी को दिया जा रहा था हमने तब भी इसका विरोध किया था और आज इसका परिणाम सामने है, आपका और हमारा जिंदगी भर का मेहनत से कमाया हुआ पैसा एक ऐसे आदमी को दिया गया जिस पर आज धांधली के गंभीर आरोप हैं और खुद को प्रधान सेवक बताने वाले प्रधानमंत्री इस पर चुप है जो आम आदमी की जनता को और भी बढ़ा रहा है।

एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज कुंदन ने प्रश्न बयान जारी करते हुए कहा कि या तो सरकार जेपीसी का गठन करें या फिर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व में एक कमेटी का गठन हो जो अदानी पर लगाए गए आरोपों की जांच करें व सच देश के आगे रखें, निवेशक व आम आदमी अपने भविष्य को लेकर चिंतित है और इस पर सरकार व सरकार के मुखिया की चुप्पी बताती है कि जो खुद को चौकीदार बताता है वह चौकीदार नहीं अदानी का हिस्सेदार है।

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