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कृषि कानूनों की वापसी पर मौलाना आमिर रशदी ने CAA को भी वापस लेने की मांग की

700 किसानों की मौत पर भी ख़ामोश रहने वाली मोदी सरकार कुछ राज्यों में सत्ता के जाने के डर से झुक गई हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के आंदोलन के आगे झुकते हुए तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया हैं. तथा इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, इन तीनों कृषि कानूनों को वापस करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा करने का भी ऐलान कर दिया हैं।

मोदी सरकार द्वारा कृषि कानून वापस लेने पर राष्ट्रीय उलमा काउंसिल ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को भी वापस लेने की मांग की हैं।

राष्ट्रीय उलमा काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना आमिर रशदी मदनी ने CAA कानून को वापस लेने के साथ-साथ सभी प्रदर्शनकारियों को भी रिहा करने की मांग की हैं।

मौलाना आमिर रशदी मदनी का कहना है कि “CAA प्रोटेस्ट के दौरान भी कई मौतें हुईं, महीनों बहनों ने देश भर में धरना दिया, दर्जनों नौजवान अब भी जेलों में बंद हैं. देश के मुसलमान, किसान, दलित, आदिवासी भी CAA क़ानून का विरोध करते रहे हैं. इसलिए सरकार को अब इसे भी वापस लेना चाहिए और CAA के सभी प्रदर्शनकारियों को रिहा करना चाहिए।”

पत्रकार अरफा खानुम शेरवानी ने प्रधानमंत्री मोदी से एक और माफ़ी मांगने की अपील करते हुए कहा है कि “मोदी जी, आपको एक और माफ़ी माँगनी है, CAA व NRC का विरोध करने वाले भी इसी देश के नागरिक है. CAA व NRC वापस लीजिये. हर उस व्यक्ति को रिहा कीजिये जो ग़ैरक़ानूनी तरीक़े से UAPA के तहत जेल में डाला गया. यही आपकी असली तपस्या होगी।”

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