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सुल्ली डील्स: मुस्लिम महिलाओं की फोटो के साथ खुलेआम बोली लगाने वाली ऐप पर क्यो ख़ामोश है कथित लिबरल

हिन्दुस्तान में महिलाओं को खिलौना समझा जाता है और अगर वह छोटी जात या फिर मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखती हो तो समझो वह तो सरकारी खिलौना है।

मुस्लिम महिलाओं को बदनाम करने की लिए सोशल मीडिया पर जब चाहे फर्जी एकाउंट बनाकर उनको बदनाम कर दिया जाता है। या फिर प्ले स्टोर पर ऐप बनाकर उनकी बोली लगा दी जाती है।

जी हाँ बोली, कथित हिंदुत्ववादी लोगों ने प्ले स्टोर पर एक ऐप बनाया था “सुल्ली फाॅर सेल” जिसमें सोशल मीडिया से मुस्लिम महिलाओं की फ़ोटो निकालकर उसके सामने रेट लिखकर खुलेआम उनकी बोली लगाई जाती थी।

सुल्ली मुस्लिम महिलाओं के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक अपमानजनक शब्द है जिसको कथित हिन्दू लोग इस्तेमाल करते है।

इस ऐप पर लगभग 70-80 मुस्लिम महिलाओं की डिटेल फोटो के साथ डाली गई थी। तथा उनका सोशल मीडिया हैंडल का लिंक भी साझा किया गया था।

सोशल मीडिया पर सुल्ली ऐप का खुलकर विरोध हो रहा है लेकिन तथाकथित सेक्युलर एवं लिबरल लोग इस मुद्दे पर खामोशी बनाएं हुए है।

सोशल एक्टीविस्ट शाहनवाज अंसारी के अनुसार “तीन तलाक़, बुर्क़ा, मुस्लिम महिलाओं को आज़ादी दिलाने के नाम पर क्रांति करने वाले दोगले किस्म के लिब्रल-सेक्युलर गैंग “सुल्ली डील्स” मामले पर मौन हैं। आप इन्हें पहचान लीजिए। यक़ीनन ये हमारा मसला है हमको आगे आकर इसके खिलाफ आवाज़ उठानी होगी।

शाहनवाज अंसारी के अनुसार “सुल्ली डील्स एक बड़ा मुद्दा है। लेकिन लिब्रल गैंग इसपर ना सिर्फ खामोश है बल्कि इस पूरे मामले को नॉर्मलाइज करने की कोशिश कर रहा है। बात बात पर क्रांति करने वाले कथित लिब्रलों-सेक्युलरों के लिए मुसलमानों से जुड़ा कोई भी मुद्दा अहम नही होता।

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