जम्मू-कश्मीर पत्रकार महासंघ (Journalist Federation of Kashmir – JFK) ने उभरती हुई पत्रकार गफीरा क़ादिर के खिलाफ चलाए जा रहे बदनाम करने वाले अभियान की कड़ी निंदा की है।
गफीरा ने हाल ही में मिडल ईस्ट आई में रिलीज़ हुई फ़िल्म Songs of Paradise की समीक्षा प्रकाशित की थी, जिसके बाद से उन्हें निशाना बनाया जा रहा है।
महासंघ के बयान के अनुसार, समीक्षा प्रकाशित होने के बाद गफीरा क़ादिर को संगठित और लगातार चल रहे एक अभियान के ज़रिये पेशेवर स्तर पर बदनाम करने और व्यक्तिगत रूप से डराने-धमकाने की कोशिश की जा रही है।
संगठन का कहना है कि ऐसे हमले न सिर्फ़ किसी पत्रकार की सुरक्षा और गरिमा के लिए ख़तरा हैं, बल्कि प्रेस की आज़ादी और कला व फिल्मों पर बहस के अधिकार पर भी सीधा हमला हैं।
JFK ने स्पष्ट किया कि यह हमला न केवल महिला पत्रकारों को चुप कराने की कोशिश है, बल्कि इसमें लैंगिक पक्षपात और उत्पीड़न की राजनीति भी शामिल है। महासंघ ने कहा कि पत्रकारों को बिना डर और दबाव के अपनी राय रखने और विश्लेषण करने का अधिकार होना चाहिए।
आलोचनात्मक आवाज़ों को दबाने के प्रयास लोकतांत्रिक मूल्यों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ़ हैं।
संगठन ने पहले भी जम्मू-कश्मीर में पत्रकारों को निशाना बनाए जाने पर चिंता जताई थी और इसे क्षेत्रीय संस्थानों के भीतर सच्चाई और जवाबदेही को कमजोर करने की रणनीति का हिस्सा बताया था।
बयान में भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना के उस कथन का भी उल्लेख किया गया, जिसमें उन्होंने कहा था— “पत्रकार लोग और सत्ता के बीच आंख और कान होते हैं… स्वतंत्र पत्रकारिता लोकतंत्र की रीढ़ है।” वहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने एक फैसले में कहा था कि भारत की आज़ादी तब तक सुरक्षित है जब तक पत्रकार बिना किसी प्रतिशोध के डर के सच को सत्ता के सामने रख सकते हैं।

