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नफरत और बंटवारे की बात करने वाले नेताओं को हराकर कर्नाटक की जनता ने देश को सकारात्मक संदेश दिया हैं: जमात-ए-इस्लामी हिंद

जमात-ए-इस्लामी हिंद ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव में नफरत और विभाजन करने वाले राजनेताओं और उनके समर्थकों के खिलाफ मतदान करने वाली कर्नाटक की जनता को बधाई देते हुए उनके इस कदम तारीफ की है।

जमात-ए-इस्लामी हिंद के डिप्टी अमीर प्रोफेसर मुहम्मद सलीम इंजीनियर ने मीडिया को जारी अपने बयान में कहा कि “कुछ राजनीतिक दलों द्वारा सांप्रदायिक नफरत फैलाकर कर्नाटक के लोगों को विभाजित करने के लिए लगातार प्रयास किए गए, लेकिन वहां के लोगों ने अपनी आस्था और साहस बनाए रखा और जानबूझकर नफरत फैलाने वालों के खिलाफ वोट दिया।

उन्होंने साम्प्रदायिक नारों और नफरत भरे प्रचार को अपने वोटों पर असर नहीं पड़ने दिया, उनका फैसला अनुकरणीय है. उन्होंने अपने इस कार्य से देश की जनता को यह संदेश दिया है कि उकसावे और वातावरण में जहर घोलने के प्रयासों के बावजूद कैसे आपसी एकता और शांति और सद्भाव कायम रखा जा सकता है।

प्रोफ़ेसर सलीम ने आगे कहा कि, लोगों की वास्तविक समस्याएं जैसे रोज़गार, मंहगाई, स्वास्थ्य, शिक्षा और कल्याण आदि अधिक महत्वपूर्ण हैं और सरकार को इन पर ध्यान देना चाहिए, लेकिन राज्य में सत्ताधारी दल ने इनसे कहीं अधिक भावनात्मक मुद्दों की अहमियत दी ताकि इनकी आड़ में अपनी विफलताओं और कमियों को छुपाया जा सकें।

यह एक स्वागत योग्य संकेत है कि जिन लोगों ने समाज में विभाजन पैदा करने की कोशिश की और नफरत का सहारा लिया, उन्हें इस हालिया चुनाव में हार का सामना करना पड़ा।

कर्नाटक के परिणाम भी सभी धर्मनिरपेक्ष दलों के लिए एक संदेश है कि वे हिजाब पर, हलाल जानवरों के मुद्दे पर, मुस्लिम आरक्षण और उनके आर्थिक बहिष्कार जैसे मुद्दों पर एक सैद्धांतिक रुख अपनाए।

इन धर्मनिरपेक्ष दलों और क्षेत्रीय दलों को कर्नाटक के लोगों के इस फैसले से सीखना चाहिए और जाति और धार्मिक मतभेदों से ऊपर उठकर न्याय और समानता के आधार पर नीतियों को अपनाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि “आमतौर पर देखा जाता है कि कुछ पार्टियां बहुसंख्यक वर्ग की प्रतिक्रिया के डर से मुसलमानों को राजनीतिक प्रतिनिधित्व देने से डरती हैं, ऐसा करना मौलिक रूप से गलत है।

उन्होंने कहा कि, कर्नाटक के लोगों ने अपनी कार्रवाई से एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है कि भारतीय राजनीति भावनात्मक मुद्दों या ध्रुवीकरण के बजाय वास्तविक मुद्दों पर आधारित होनी चाहिए।

कर्नाटक के चुनाव परिणाम साबित करते हैं कि उत्पीड़ितों के लिए न्याय की वकालत, सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देना और विकास के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना ही एकमात्र स्थायी तरीका है।

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