आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी आज भाजपा में शामिल हो गए, हेलीकॉप्टर दुर्घटना में YSR के निधन के बाद उनके बेटे जगन मोहन रेड्डी को मुख्यमंत्री पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा था, लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने जनभावनाओं को दरकिनार करके किरण कुमार रेड्डी को सीएम बनाया।
YSR के बेटे जगन रेड्डी ने बग़ावत करके कांग्रेस छोड़ दी और “YSR कांग्रेस पार्टी” का गठन किया, जगन के साथ जनसर्थन था, इसकी बड़ी वजह उनके पिता YSR का जननेता होना था, जगन को भी इसका लाभ मिला, लेकिन इसके बावजूद उन्हें संघर्ष करना पड़ा, 2014 में आंध्रप्रदेश में कांग्रेस हारी और TDP ने सरकार बनाई।
लेकिन 2019 मे जगन रेड्डी प्रचंड बहुमत से जीत दर्ज कर मुख्यमंत्री बने. मुज़फ़्फ़र रज़्मी की पंक्ती है कि,
“लम्हों ने खता की थी सदियों ने सजा पाई।”
सोचिए, जिस किरण कुमार रेड्डी को कांग्रेस ने मुख्यमंत्री बनाया था, वह इतने बड़े नेता थे कि कांग्रेस आलाकमान की मेहरबानी से CM बन गए लेकिन आंध्रप्रदेश में कांग्रेस को जीत नहीं दिला पाए, वहीं जिस जगन को कांग्रेस ने मुख्यमंत्री पद के लायक़ नहीं समझा, वह आज आंध्र प्रदेश का मुख्यमंत्री है और उसके स्थान पर जिस शख्स को मुख्यमंत्री बनाया गया था वह आज भाजपा में शामिल हो चुका है साथ ही राज्य में कांग्रेस वेंटिलेटर पर है।
कांग्रेस यूं ही नहीं डूबी है, इसे डुबोने वाले बाहरी नहीं बल्कि इसके ‘अपने’ ही हैं. किसी भी राज्य के चुनाव में दूसरे दल अपने प्रतिद्वंदी से लड़ते हैं, लेकिन कांग्रेस सिर्फ कांग्रेस से लड़ती है. क्या कांग्रेस आलाकमान आंध्र प्रदेश के ‘गुनहगारों’ को पहचान गई है?