जहां एक तरफ पूरे देश में संसद, नीट और पेपर लीक को लेकर बवाल चल रहा है वहीं दूसरी तरह एक जुलाई से मौजूदा क्रिमनल कानूनों को तब्दील कर जो नए तीन काले कानून लाये जा रहे है उसका भुगतभोगी पूरा देश होगा।
ये तीनों कानून भारत के सभ्य समाज को एक पुलिस स्टेट में तब्दील करने से ज्यादा कुछ नहीं है। एक व्यक्ति के मानवाधिकार की कुर्बानी ले कर न्याय की परिभाषा गढ़ी जा रहा है जो पुलिस को अथाह शक्तियां प्रदान करेगा।
सबसे बड़ी बात तो भारत में किसी बेगुनाह को अपराधी साबित होने से पहले हथकड़ी पहनाना नैतिक तौर पर बुरा माना जाता था मगर अब किसी भी व्यक्ति चाहे वो बेगुनाह हो उसे हथकड़ी पहनाने का प्रावधान किया गया है।
पुलिस हिरासत में बेगुनाहों को थर्ड डिग्री के नाम पर पुलिस द्वारा प्रताड़ित कर के मार डालना किसी से छुपा नहीं है ऐसे में पुलिस कस्टडी को 15 दिन से 90 दिन में तब्दील करना कई सवालिया निशान पैदा करता है। जो किसी व्यक्ति के जमानत के मौलिक अधिकार को भी प्रभावित करता है।
किसी बेगुनाह को बिना वजह सालों साल जेल में सड़ा देने के बावजूद कोई स्पष्ट मुआवजे का प्रावधान न करना पुलिस प्रताड़ना की पहली सीढ़ी मानी जाएगी। जहां आप किसी भी बेगुनाह को कितना भी मानसिक और शारीरिक प्रताड़ित कर लो मगर वो बेगुनाह व्यक्ति किसी प्रकार के हर्जाने का कोई हक़दार नहीं है इसी को तो शास्त्रों में पुलिस स्टेट कहा गया है।
राजद्रोह के नाम पर नये कानूनों को इतना बारीक बना दिया गया है कि आपकी बोलने लिखने की आज़ादी को ख़त्म कर दिया जायेगा। आपकी कोई भी छोटी से छोटी बात को समाज में द्वेष फ़ैलाने के नाम पर देशद्रोह साबित कर दिया जायेगा। फिर आप सालों जेल में बेगुनाही को साबित करते हुए दम तोड़ दीजियेगा। आपका शरीर तो जीवित रहेगा मगर मानसिक तौर पर मुर्दा बना दिया जायेगा।
इन काले कानूनों की सबसे खतरनाक बात है कि आज के आधुनिक युग में इलेक्ट्रॉनिक गैजेट को सीज करने के असीमित अधिकार के साथ उसकी बुनियाद पर आप पर मुकदमा बनाया जायेगा। आपका मोबाइल फ़ोन, लैपटॉप, सिम आदि को आपके खिलाफ सबूत बना कर जेलों में सड़ाने का दूसरा नाम ही हैं ये तीनों काले कानून।
जिन भारतीय कानूनों की बुनियाद “99 अपराधी भले छूट जाएं, लेकिन एक निर्दोष को सजा नहीं होनी चाहिए” पर आधारित थी वो इन काले कानूनों के बाद के दम उलट जाएगी। इनके लागु होते ही एक अपराधी को सजा के चक्कर में 99 बेगुनाहों को प्रताड़ित किया जायेगा।
यही समय है आवाज़ बुलंद करिये इन मानवता विरोधी क्रिमिनल कानूनों की जो किसी भी बेगुनाह को दोषी साबित करने में तनिक भी देर न लगायेंगे।