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उत्तर प्रदेश: सांप्रदायिक हिंसा के शिकार “काज़िम” की 18 महीने बाद दर्ज़ हुई FIR, सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस को लगाई फटकार

भारत में मुस्लिमों की हालत इतनी बदतर होती जा रहीं हैं कि एफआईआर लिखवाने के लिए भी सुप्रीम कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ रहें हैं।

18 महीने पहले सांप्रदायिक हिंसा के शिकार 63 वर्षीय काज़िम अहमद को एफआईआर लिखवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा डीजीपी को नोटिस जारी करने के बाद पुलिस कमिश्नरेट ने सांप्रदायिक हमले की एफआईआर की है।

घटना 4 जुलाई 2021 की हैं, दिल्ली के ज़ाकिर नगर निवासी 63 वर्षीय काज़िम अहमद को नोएडा के सेक्टर 37 के पास कार सवार अज्ञात लोगों ने लिफ़्ट देने के बहाने बुरी तरह मारा, उनकी दाढ़ी खींची तथा घायल अवस्था में गाड़ी से फेंक दिया।

काज़िम ने जब इस मामले की FIR दर्ज कराने की कोशिश की तो पुलिस ने एफआईआर दर्ज़ नहीं की, इसलिए काजिम ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया जहां से 18 महीने बाद एफआईआर दर्ज़ करने का आदेश आया।

इस मामले में कोर्ट की फटकार के बाद नोएडा के सेक्टर 39 थाने में पुलिस ने 4 अज्ञात युवकों पर धारा 323, 324, 504, 298 और 352 के तहत मुकदमा दर्ज किया है।

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