मरकज़ी जमीयत अहले हदीस हिन्द के अमीर-ए-मुहतरम मौलाना असगर अली इमाम महदी सलफ़ी ने कहा कि आज़ादी हमें बहुत बड़ी क़ुर्बानियों के बाद मिली है, इसलिए इसकी क़द्र करना हर नागरिक का फ़र्ज़ है।
वे 15 अगस्त को जामिया नगर, नई दिल्ली स्थित “अल-मअहद अल-आली लित्तख़स्सुस फ़ी अद-दिरासत अल-इस्लामिया” में यौमे-आज़ादी समारोह के अवसर पर परचमकुशाई (ध्वजारोहण) के बाद ऑनलाइन ख़िताब कर रहे थे।
मौलाना ने कहा कि जिस तरह हमारे बुज़ुर्गों ने “हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई – आपस में सब भाई-भाई” के नारे के साथ मिलजुल कर आज़ादी हासिल की थी, उसी तरह आज भी हमें राष्ट्रीय और मिल्ली जज़्बे से भरकर देश की तरक्क़ी, तामीर और अमन-ओ-शांति के लिए मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि “वतन से मुहब्बत एक फ़ितरी जज़्बा है और ईमान का तक़ाज़ा भी है।”
उन्होंने लोगों को आगाह किया कि आज़ादी की खुशियों में यह न भूलें कि हमारे बुज़ुर्गों ने किस तरह अपने घर-बार, बच्चे और जानें कुर्बान कीं तथा जेल की सलाखों के पीछे वर्षों गुज़ारे।
मौलाना ने शहीद मौलाना शाह मोहम्मद इस्माइल, सैयद अहमद शहीद, मौलाना विलायत अली, मौलाना इनायत अली, नवाब सिद्दीक़ हसन ख़ान, सैयद नज़ीर हुसैन देहलवी, जनरल बख़्त ख़ान, अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ान, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद और महात्मा गांधी जैसे अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानियों को याद करने की अपील की।
इस मौके पर मरकज़ी जमीयत अहले हदीस हिन्द के मीडिया कोऑर्डिनेटर डॉ. मोहम्मद शीश इदरीस तैम़ी ने कहा कि यौमे-आज़ादी मुल्क और मिल्लत की सेवा तथा क़ुर्बानी के अहद को ताज़ा करने का दिन है।
वहीं, अल-मअहद के उसताद मौलाना अब्दुल ग़नी मदनी ने कहा कि मुसलमानों की आज़ादी की जद्दोजहद में दी गई बेशकीमती सेवाओं को नई पीढ़ी तक पहुँचाना ज़रूरी है।
नौजवान सर्जन डॉ. असअद असगर ने कहा कि आज़ादी का दिन केवल खुशियाँ मनाने का नहीं बल्कि जिम्मेदारियों को याद करने और देश की तामीर व तरक्क़ी के लिए जागरूकता पैदा करने का दिन है। इस अवसर पर डॉ. अब्दुल वासेअ तैम़ी, डॉ. सैयद अब्दुर्रऊफ़ और मौलाना रबीउल्लाह सलफ़ी समेत कई सामाजिक व शैक्षिक हस्तियों ने भी ख़िताब किया।
कार्यक्रम में राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बाद “जन गण मन” और “सारे जहाँ से अच्छा” गाए गए तथा मिठाइयाँ बाँटी गईं। समारोह में शिक्षकों, विद्यार्थियों, कर्मचारियों और स्थानीय लोगों की बड़ी संख्या मौजूद रही।