बीते गुरुवार की शाम एक आम हिंदुस्तानी के लिए भले ही एक साधारण शाम रही हो लेकिन हिंदुस्तान के जांबाज़ पत्रकार दानिश सिद्दीकी के लिए एक संघर्ष की शाम थी। एक ऐसा संघर्ष जो असाधारण संघर्ष था। ज़िंदगी और मौत का संघर्ष। उसने उसका डट कर मुकाबला भी किया लेकिन आखिरकार वो शहीद हो गया ।
निश्चित रूप से वो एक बहादुर की मौत मरा। एक शहीद की मौत। दुश्मनों के बस्ती में घुसकर उसकी काली करतूतों का पर्दाफाश करने निकला था। दिल में जज़्बा था कि दुनिया को सच दिखाने का। रास्ता बहुत कठिन था। और उसने कठिन रास्ते को ही चुना।
दानिश सिद्दीकी एक अवॉर्ड विनर फ़ोटो जॉर्नलिस्ट था। जिसके काम को न सिर्फ हिंदुस्तान बल्कि दुनिया के कई देशों ने सराहा। इसीलिए आज उसकी शहादत पर पूरी दुनिया दुखी है। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति ने भी दानिश की शहादत पर शोक संदेश भेजा है।
इसको आप दानिश की काबिलियत का ही कारनामा कहिए कि उसके कातिलों ने भी उसकी मौत पर शोक जताया है। वे भी दुखी हैं। तालिबान ने एक संदेश जारी करते हुए कहा है कि उन्होंने दानिश की हत्या नहीं कि है। भारत के हर एक पत्रकार जो अफगानिस्तान में रिपोर्टिंग करना चाहता है उसकी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी तालिबान की है। साथ ही तालिबान ने कहा है कि उन्हें दानिश सिद्दीकी की मौत का बहुत अफसोस है।
भारत के तमाम पत्रकारों ने दानिश की मौत पर दुख जताया है और साथ ही ट्वीटर और फेसबुक के माध्यम से शोक संदेश भेजा है। यहां तक कि हर मुद्दे पर सरकार का पक्ष रखने वाली गोदी मीडिया ने भी दानिश की मौत पर दुख का इज़हार किया है।
ज़ी न्यूज़ के प्राइम टाइम एंकर सुधीर चौधरी ने तो दानिश सिद्दीकी की मौत को अपने प्राइम टाइम में भी जगह दी है। उन्होंने अपने शो के ज़रिए उन तमाम दक्षिणपंथी कट्टरवादियों को भी जमकर लताड़ा जो दानिश की मौत पर जश्न मना रहे थे। उन्होंने ऐसे लोगों को इंसानियत के लिए खतरा भी बताया।
भारत के भी तमाम बड़े नेताओं ने दानिश सिद्दीकी की मौत पर अफ़सोस का इज़हार किया और शोक संदेश भेजे। कांग्रेस लीडर राहुल गांधी ने भी ट्वीट कर दानिश सिद्दीकी की मौत पर दुख जताया।
My condolences to the family and friends of Danish Siddiqui.
I appeal to GOI to facilitate bringing his mortal remains back home at the earliest. pic.twitter.com/3xcLETl9BL
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 16, 2021
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी दानिश सिद्दीकी की मौत पर दुख जताया। उन्होंने भी ट्वीट किया।
The demise of Danish Siddiqui is a tragic loss.
He was a Pulitzer Prize-winning photojournalist whose photographs were emblematic of the upheavals that our country witnessed in the past few years.
My thoughts & prayers are with his family, loved ones and colleagues.
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) July 16, 2021
समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने लिखा “पुलित्ज़र पुरस्कारी पत्रकार और फोटोग्राफर दानिश सिद्दीक़ी की हत्या की ख़बर सुन कर अफ़सोस हुआ।
उनकी तस्वीरों ने जनता के विवेक को झिंझोड़ने का काम किया और उन्होंने काम के माध्यम से यह दिखाया कि निडर हो कर पत्रकारिता कैसे की जाती है”
पुलित्ज़र पुरस्कारी पत्रकार और फोटोग्राफर दानिश सिद्दीक़ी की हत्या की ख़बर सुन कर अफ़सोस हुआ।
उनकी तस्वीरों ने जनता के विवेक को झिंझोड़ने का काम किया और उन्होंने काम के माध्यम से यह दिखाया कि निडर हो कर पत्रकारिता कैसे की जाती है।#DanishSiddiqui pic.twitter.com/zGtIqy1X4W
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) July 16, 2021
मगर एक सवाल जो अबतक सबके मन में घूम रहा है वो ये है कि जब सारी दुनिया दानिश के चले जाने पर दुखी है तब हमारे देश के प्रधानमंत्री के मुँह से अब तक एक शब्द क्यों नहीं निकला है?
दानिश सिद्दीकी की मौत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है। लोग इसको लेकर प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना भी कर रहे हैं।
लेखक हंसराज मीना ने लिखा है कि क्रिकेटर शिखर धवन की अंगूठे में चोट लग जाने पर ट्वीट करने वाले प्रधानमंत्री ने आज एक शब्द नहीं लिखा। साथ ही उन्होंने लिखा है कि मोदी जी बेशक आपका पद बड़ा है लेकिन आपकी सोच बेहद छोटी है।
देश का एक पुलित्जर पुरस्कृत पत्रकार #DanishSiddiqui शहीद हो गया। अफगान राष्ट्रपति ने इस पर शोक व्यक्त किया। लेकिन शिखर धवन के अंगूठे में चोट लगने पर ट्वीट करने वाले अपने पीएम @narendramodi ने इस पर एक शब्द भी नहीं लिखा। मोदी जी आपका पद बेशक बड़ा है लेकिन सोच बेहद गिरी हुई है।
— Hansraj Meena (@HansrajMeena) July 16, 2021
एक अन्य ट्वीट में हंसराज मीणा ने उन लोगों को भी जमकर लताड़ा है जो दानिश की मौत पर जश्न मना रहे हैं। उन्होंने लिखा है “दानिश सिद्दीकी भारत में भी सच दिखा रहे थे और अफगानिस्तान में भी। सच की कीमत तो चुकानी पड़ती है। यहां कुछ लोग मौत के बाद खुशी मना रहे है और वहां मारने के बाद। अंतर दोनों में कोई नहीं है। जोखिम भरे इलाके में रिपोर्टिंग और मौत से बेख़ौफ़ वाली पत्रकारिता को सलाम हैं”
दानिश सिद्दीकी भारत में भी सच दिखा रहे थे और अफगानिस्तान में भी। सच की कीमत तो चुकानी पड़ती है। यहां कुछ लोग मौत के बाद खुशी मना रहे है और वहां मारने के बाद। अंतर दोनों में कोई नहीं है। जोखिम भरे इलाके में रिपोर्टिंग और मौत से बेख़ौफ़ वाली पत्रकारिता को सलाम हैं। #DanishSiddiqui
— Hansraj Meena (@HansrajMeena) July 16, 2021
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आलोचना करते हुए पत्रकार डॉक्टर मेराज हुसैन लिखते हैं “दानिश की शहादत पर PM का एक ट्वीट तक नहीं आया और बात वो करते है “वसुदेव कुटुम्बकम” की…!”
दानिश की शहादत पर PM का एक ट्वीट तक नहीं आया और बात वो करते है “वसुदेव कुटुम्बकम” की…! #DanishSiddique
— Dr.Meraj Hussain (@drmerajhusain) July 16, 2021
ऐसे में सवाल ये उठता है कि एक ऐसा फ़ोटो जॉर्नलिस्ट जिसकी मौत पर दक्षिण पंथी मीडिया भी दुखी है और शोक मना रहा है ऐसे पत्रकार की शहादत पर भी आखिर क्यों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक शब्द बोल पाते हैं? आखिर प्रधानमंत्री की क्या मजबूरी हो सकती है?
क्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उन मुट्ठी भर कट्टरपंथी हिंदुत्ववादी गुंडों को नाराज़ नहीं करना चाहते जो दानिश सिद्दीकी की मौत पर खुश हो रहे हैं और तालियां पीट रहे हैं।
या फिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मन में इस बात की पीड़ा है कि दानिश ने अपनी पत्रकारिता के दम पर कोरोनकाल में सरकार की अव्यवस्था, किसान आंदोलन में सरकार की क्रूरता और तालाबंदी में सरकार की अमानवीयता को दुनिया के सामने उजागर किया था!!