अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अब सिर्फ किताबों में या फिर संविधान में रह गयी है असल जिंदगी में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब है सत्ता की गुलामी या फिर सत्ता का समर्थन।
किसी जमाने में सोशल मीडिया अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सबसे अच्छा माध्यम होता था लेकिन आजकल सबसे ज्यादा पाबंदियां यही पर लगाई जाती है।
सरकार की आलोचना करने पर आए दिन किसी न किसी नेता एवं सामाजिक कार्यकर्ता का सोशल मीडिया एकाउंट बंद कर दिया जाता है।
समाजवादी छात्रसभा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पूजा शुक्ला का भी फेसबुक एकाउंट ससपेंड कर दिया गया और आरोप सिर्फ इतना है कि वह सच लिखती है और सरकार के खिलाफ लिखती है।
पूजा शुक्ला ने अपने ट्वीटर एकाउंट के जरिए इस बात की जानकारी देते हुए कहाँ कि मेरा फेसबुक बंद करके आप मुझे सच बोलने से नही रोक सकते,जो जनता का दर्द है वो तो लिखूँगी।
मेरा फेसबुक बंद करके आप मुझे सच बोलने से नही रोक सकते,जो जनता का दर्द है वो तो लिखूँगी,आप सबसे निवेदन है जब तक मेरा फेसबुक एकाउंट नही ठीक होजाता आप हमसे ट्विटर से जुड़िये ताकि हम एक दूसरे के साथ मिलकर जन आवाज़ को बुलंद करे।
उम्मीद है आप सब जुड़ेंगे😊
— Samajwadi Pooja shukla (@poojashukla04) May 9, 2021
पूजा शुक्ला का फेसबुक एकाउंट ससपेंड होना इस बात का सबूत है कि अब फेसबुक जैसी सोशल मीडिया साइट्स भी सरकार की चाटूकारिता करने लगी है तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर पाबंदी लगा रही है।