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असम में 34% मुस्लिम आबादी के केवल 9% मुस्लिम युवा असम सिविल सेवा में सफल

असम लोक सेवा आयोग के नतीजे घोषित हो चुके हैं। रसिका इस्लाम ने इस परीक्षा में टॉप किया है। इस प्रतिष्ठित एग्जाम का आयोजन असम सिविल सर्विस (जूनियर ग्रेड) के 86 पदों और असम पुलिस सर्विस (जूनियर ग्रेड) के 65 पदों को भरने के लिए किया गया है।

असम के 34% मुस्लिम समुदाय की इस एग्जाम में भी सफलता का पैमाना बेहद कम रहा है। असम सिविल सर्विस (जूनियर ग्रेड) के कुल 86 सफल युवाओं में केवल 8 मुस्लिम युवा (9.3%) उत्तीर्ण हुए हैं।

अगर कैटागोरी के हिसाब से देखे तो आपको समझ आएगा कि असम सिविल सर्विस (जूनियर ग्रेड) के 86 पदों में से 40 पद जनरल श्रेणी के लिए, 34 पद OBC श्रेणी के लिए और 6-6 पद SC व् ST समुदाय के लिए आरक्षित थे।

जो 8 मुस्लिम युवा इन पदों के लिए उत्तीर्ण हुए है उनमें से 7 जनरल श्रेणी और 1 रिज़र्व श्रेणी से सम्बंधित थे।

असम सिविल सर्विस (जूनियर ग्रेड) में उत्तीर्ण मुस्लिम युवा:

  • RASIKA ISLAM – Rank 1 – GEN
  • WAHIDUZ JAMAN – Rank 19 – GEN
  • MD JAMANUR ISLAM – Rank 23 – GEN
  • ASFAQUE LASKAR – Rank 24 – GEN
  • BENAZIR ILIYAS – Rank 34 – GEN
  • ABU SOID MD GULJAR HUSSAIN – Rank 61 – Reserved
  • AFFAN KHAN – Rank 78 – GEN
  • ALYAMAN FIRDUS AHMED – Rank 81 – GEN

ऐसे ही असम पुलिस सर्विस (जूनियर ग्रेड) के 65 पदों में केवल 4 मुस्लिम युवा (6.1%) ही सफलता हासिल कर पाये हैं। ये चारो युवा जनरल श्रेणी से ही उत्तीर्ण हुए हैं।

असम पुलिस सर्विस (जूनियर ग्रेड) में उत्तीर्ण मुस्लिम युवा:

  • FAYEZ AHMED – Rank 18 – GEN
  • RUBINA BEGUM – Rank 19 – GEN
  • ARSHAD WASIM AHMED – Rank 22 – GEN
  • SK SAJIDUR ISLAM – Rank 28 – GEN

अगर कैटागोरी के हिसाब से देखे तो आपको समझ आएगा कि असम पुलिस सर्विस (जूनियर ग्रेड) के 65 पदों में से 34 पद जनरल श्रेणी के लिए, 17 पद OBC श्रेणी के लिए, 4 पद SC और 10 ST समुदाय के लिए आरक्षित थे।

अब यहां कुछ सवाल उभर कर सामने आते है।

कुछ लोगों को ये भ्रम कि असम में मुस्लिम आबादी दूसरे राज्यों के मुकाबले में ज्यादा है तो उनके हालात बेहतर होंगे मगर हकीकत इसके विपरीत है। असम के अधिकतर मुस्लिम पिछड़ेपन की इन्तेहाँ पर पहुंचे हुए हैं।

वहीं अगर रोजगार की बात की जाये तो सिविल सर्विस जैसे प्रतिष्ठित एग्जाम में भी मुस्लिम युवा आबादी के अनुरूप एक तिहाई भी सफल नहीं हो पा रहे हैं।

एक भ्रम ये भी समाज में व्यापक तौर पर फैला है कि मुसलमानों की ज्यादातर आबादी OBC के अंतर्गत आती है और उनको आरक्षण का लाभ मिल रहा है जबकि हकीकत यहां भी एक दम उल्ट है।

असम सिविल सर्विस (जूनियर ग्रेड) और असम पुलिस सर्विस (जूनियर ग्रेड) में सफल 12 मुस्लिम युवाओं में से केवल एक युवा ही आरक्षित श्रेणी से सफल हुआ है।

ऐसे में ये बात खुल कर व्यापक तौर पर सामने आती है कि मुस्लिम युवाओं को जनरल श्रेणी के आर्थिक तौर पर कमजोर (EWS) के लिए आवाज बुलंद करनी जरूरी है। जनरल श्रेणी में आर्थिक पिछड़ेपन में मुसलमानों से बदतर हालत में शायद ही कोई होगा।

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