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केशव प्रसाद मौर्य का मज़ाक उड़ाकर गलती कर रहे हैं अखिलेश: वसीम अकरम त्यागी

उत्तर प्रदेश में भाजपा की अंदरूनी कलह खुलकलर सामने आ चुकी है। ऐसे में समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव को भाजपा की इस ‘अंतर्कलह’ में केशव प्रसाद मौर्य के साथ सहानुभूति का इज़हार करना चाहिए था। लेकिन ऐसे वक्त में अखिलेश यादव ने केशव प्रसाद मौर्य पर तंज किया कि “लौट के बुद्धू घर को आए।

जबकि उन्हें चाहिए था कि वो केशव प्रसाद मौर्य के साथ सहानुभूति ज़ाहिर करते हुए भारतीय जनता पार्टी पर हमलावर होते और सवाल उठाते कि जिस केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व में भाजपा ने बहूमत हासिल किया था, उन्हीं केशव प्रसाद मौर्य को मुख्यमंत्री बनाने योग्य क्यों नहीं समझा। क्या सिर्फ इसलिए कि वो ‘सवर्ण’ नहीं हैं! लेकिन अखिलेश द्वारा केशव मौर्य का मज़ाक उड़ाया जा रहा है।

अखिलेश की ऐसी टिप्पणी से सपा को फायदा हो या ना हो लेकिन केशव प्रसाद मौर्य की पदोन्नति ज़रूर हो सकती है। हैरान ना होना अगर भाजपा अखिलेश के तंज का जवाब देने के लिए केशव का कद बढा दे!

अखिलेश को पिछड़ा दलित कार्ड खेलना चाहिए था, लेकिन उन्होंने तंज करने का रास्ता चुना, जबकि वो भाजपा की अंतर्कलह से नए सियासी समीकरण साध सकते थे।

2017 में मुख्यमंत्री आवास खाली करने के बाद योगी आदित्यनाथ द्वारा जिस तरह मुख्यमंत्री आवास को गंगा जल से धुलवाया गया था अखिलेश उसे फिर से मुद्दा बनाकर केशव प्रसाद मौर्य के समर्थन में राजनीतिक सहानुभूति ज़ाहिर कर सकते थे।

वो केशव प्रसाद मौर्य को “स्टूल” पर बैठाने तक को मुद्दा बनाकर भाजपा द्वारा बनाए गए समाजी समीकरण में सेंध मारी कर सकते थे। लेकिन उन्होंने “ग़ैर संजीदा नेता” की तरह व्यवहार करते हुए कहा कि, “मानसून ऑफ़र: सौ लाओ, सरकार बनाओ!” जबकि इस वक्त उन्हें चाहिए था कि वो केशव मौर्य के बहाने पूरी ताक़त के साथ भाजपा को पिछड़ा एंव दलित विरोधी करार देते। लेकिन अखिलेश बार-बार तंज करके मौर्य का मज़ाक उड़ा रहे हैं।

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