जो लोग इस घटना को ले कर मजाक उड़ा रहे हैं, कुछ लोग गांजे चिलम की बात कर रहे है, तो कोई इंडियन एक्सप्रेस का मजाक उड़ा रहा है उन सभी की राजनीतिक अक्ल शून्य है माफ कीजिएगा लेकिन यही सत्य है।
पिछले दिनों चन्द्रगुप्त जी (मोदी जी) ने ताबड़तोड़ कई मुख्यमंत्रियों का शिकार किया है, लेकिन योगी आदित्यनाथ का शिकार नहीं कर पा रहे है।
जो लोग मीडिया से है ,वो बखूबी जानते है कि बेशक विज्ञापन हो लेकिन कोई भी बड़ा अखबार फ्रंट पेज पर बिना संपादकीय मंजूरी के किसी किस्म का विज्ञापन नहीं छाप सकता है, और इंडियन एक्सप्रेस की संपादकीय टीम कम से कम फुद्दू नहीं है।
यह काम दिल्ली में बैठी सरकार, इंडियन एक्सप्रेस के मालिकान और सूचना विभाग उत्तरप्रदेश के अधिकारियों की मिलीभगत से हुआ है।
इंडियन एक्सप्रेस ने ट्वीट कर के इस घटना को मानवीय त्रुटि बता कर पल्ला झाड़ने की कोशिश की है।
आने वाला समय कठिन है, चन्द्रगुप्त हर हाल में बाबा का शिकार करना चाहते हैं ,इस घटना ने आज बाबा की बहुत फजीहत थू थू करवाई है।
बाबा शायद इंडियन एक्सप्रेस की बिल्डिंग तो कुर्क न कर पाएंगे ,लेकिन अपने प्रशासन में से पीएमओ के इशारे पर चलने वाले अफसरों को चिन्हित कर यदि नकेल लगा पाए तो बच सकेंगे, अन्यथा बाबा का शिकार होना तय है।
नोट:– लोकतंत्र की सुरक्षा हेतु मजबूत राज्य का होना जरूरी है, संघीय ढांचे का सम्मान होना चाहिए। यदि हर राज्य में प्यादे की तरह मुख्यमंत्री हुए तो चन्द्रगुप्त अपने आकाओं के एजेंडे अनुसार संघीय ढांचा बिल्कुल खत्म कर डालेंगे।
इस पॉइंट के आधार पर मेरा नैतिक समर्थन योगी आदित्यनाथ जी को है, पीएमओ से डरे नहीं जम कर संघर्ष करें,, हम उनके साथ है।
(यह लेखक के अपने विचार हैं लेखक नवनीत चतुर्वेदी जनता पार्टी के अध्यक्ष हैं)