अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों को पीछे धकेलने के लिए केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (BJP) सरकार ने मौलाना आजाद नेशनल फैलोशिप बंद कर दी हैं।
केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री स्मृति ईरानी ने गुरुवार को संसद में इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि, मौलाना आजाद नेशनल फैलोशिप दूसरी योजनाओं को ओवरलैप करती है, इसलिए इसको बंद कर दिया गया है।
लोकसभा में केरल के त्रिस्सूर से कांग्रेस सांसद टीएन प्रतापन के एक सवाल का जवाब देते हुए स्मृति ईरानी ने कहा कि, मौलाना आजाद नेशनल फेलोशिप योजना सरकार द्वारा लागू की जा रही उच्च शिक्षा के लिए विभिन्न फेलोशिप योजनाओं के साथ ओवरलैप करती है और अल्पसंख्यक छात्र पहले से ही ऐसी योजनाओं के तहत कवर किए गए हैं, इसलिए सरकार ने 2022-23 से मौलाना आजाद नेशनल फेलोशिप योजना को बंद करने का निर्णय लिया है।
आपको बता दें कि, मौलाना आजाद नेशनल फैलोशिप योजना 2009 में शुरू की गई थी, जिसके जरिए बौद्ध, ईसाई, जैन, मुस्लिम, पारसी और सिख समाज के छात्रों को एमफिल और पीएचडी करने के लिए सरकार की ओर से 5 वर्ष तक वित्तीय सहायता मिलती थी।
यह योजना भारत में मुसलमानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति का अध्ययन करने वाली सच्चर कमिटी की सिफारिश के आधार पर शुरू की गई थीं।
बीजेपी सरकार के इस निर्णय का कांग्रेस पार्टी की छात्र ईकाई नैशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) ने विरोध करते हुए कहा कि, मोदी सरकार शैक्षिक क्षेत्र विशेष रूप से अल्पसंख्यक समुदायों के शैक्षिक बुनियादी ढांचे की उपेक्षा कर रहीं है, हम इस भेदभाव का जबर्दस्त तरीके से विरोध करेंगे।
पत्रकार सिमी पाशा के अनुसार, अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री स्मृति ईरानी ने केंद्र सरकार द्वारा मुस्लिम छात्रों के लिए तैयार की गई एक प्रमुख छात्रवृत्ति को बंद कर दिया. ऐसा लगता है कि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री का काम अल्पसंख्यकों के खिलाफ काम करना है, उनकी बेहतरी के लिए नहीं।