भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य हैं यहां पर सभी धर्म के लोगों को अपने धार्मिक कार्य करने की आज़ादी हैं. लेकिन मौजूदा सरकार सरकारी स्कूलों में हिंदू रीति रिवाज लागू करना चाहती हैं।
भारत सरकार के अधीन शिक्षा मंत्रालय ने एक नोटिस ज़ारी कर आज़ादी के 75वे अमृत महोत्सव के अवसर पर देशभर के सरकारी स्कूलों में सूर्य नमस्कार कराएं जाने का आदेश दिया हैं।
यह कार्यक्रम 1 जनवरी से 7 जनवरी तक चलेगा तथा 26 जनवरी 2022 को सूर्य नमस्कार पर एक संगीत कार्यक्रम की भी योजना बनाई हैं।
केंद्र सरकार के इस फैसले पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने कड़ा विरोध किया है. तथा मुस्लिम छात्रों से सूर्य नमस्कार के कार्यक्रम में भाग नहीं लेने को कहा हैं।
बोर्ड का कहना हैं कि “भारत एक धर्म-निरपेक्ष और बहु-सांस्कृतिक देश है. इन्हीं सिद्धांतों के आधार पर हमारा संविधान लिखा गया है. संविधान हमें इसकी अनुमति नहीं देता है कि सरकारी शिक्षण संस्थानों में किसी धर्म विशेष की शिक्षाएं दी जाएं या किसी विशेष समूह की मान्यताओं के आधार पर समारोह आयोजित किए जाएं।
यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि वर्तमान सरकार इस सिद्धांत से भटक रही है और देश के सभी वर्गों पर बहुसंख्यक संप्रदाय की सोच और परंपरा को थोपने का प्रयास कर रही है।
बोर्ड के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी साहब ने कहा कि मुस्लिम छात्रों को ऐसे कार्यक्रमों में भाग नहीं लेना चाहिए।
حکومت سوریہ نمسکار کے مجوزہ پروگرام سے باز آئے۔
اور مسلمان طلبہ وطالبات ایسے پروگراموں میں شرکت نہیں کریں۔
مولانا خالد سیف ﷲ رحمانی
(جنرل سکریٹری آل انڈیا مسلم پرسنل لا بورڈ کا بیان) pic.twitter.com/fUFnbfLMXU— Khalid Saifullah Rahmani (@hmksrahmani) January 3, 2022
मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी साहब के अनुसार “सूर्य नमस्कार सूर्य की पूजा का एक रूप है. इस्लाम और देश के अन्य अल्पसंख्यक ना तो सूर्य को देवता मानते हैं और ना उसकी उपासना को सही मानते हैं इसलिए सरकार का यह कर्तव्य है कि वह ऐसे निर्देशों को वापस ले और देश के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का सम्मान करे।”